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साल 2017 में डोकलाम विवाद के साथ, सिक्योरिटी और इन पर रहा जोर

डिफेंस सेक्टर में कई अहम बदलाव हुए साल 2017 में

आईएएनएस
भारत
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चीन बॉर्डर पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण
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चीन बॉर्डर पर रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण
(फाइल फोटो: PTI)

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डोकलाम विवाद और पाकिस्तान की तरफ से सीजफायर उल्लंघन पूरे साल सुर्खियों में रहा. देश की पश्चिमी और पूर्वी सीमाओं पर लगातार हो रहे आतंकी हमलों के बीच भारत ने इलाके में सुरक्षा मुहैया कराने की भूमिका में साल 2017 में एक विशेष पहल की. साथ ही, देसी रक्षा उपकरणों के मैन्युफैक्चरिंग की दिशा में भी कदम बढ़ाए गए.

इस साल भारत को फुलटाइम रक्षामंत्री के तौर पर निर्मला सीतारमण मिली. कार्यभार संभालने के साथ ही देशभर में रक्षा से जुड़े कई प्रतिष्ठानों का दौरा किया, जिनमें कई बॉर्डर के संघर्ष वाले इलाके भी शामिल हैं.

सेना प्रमुखों से रोज मुलाकात

रक्षामंत्री ने सेना प्रमुखों से हर दिन मिलने का नया कायदा शुरू किया. साथ ही रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) के विचाराधीन लंबित सभी परियोजनाओं का महीने में दो बार बैठक कर साल के अंत तक निपटारा करने का संकल्प लिया.

इस साल भारत ने डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग में निजी क्षेत्र को शामिल करने के लिए रक्षा प्रबंध प्रावधान (डीपीपी) में मई में एक रणनीतिक साझेदारी का अध्याय जोड़ा गया. इस व्यवस्था के तहत कुछ अहम रक्षा उपकरण के मैन्युफैक्चरिंग के लिए भारत की निजी कंपनी विदेशी कंपनी के साथ मिलकर काम करेगी.

भारत दुनिया का सबसे बड़ा हथियार आयातक देश है. साल 2012 से 2016 के दौरान दुनिया में हथियारों के आयात में भारत की हिस्सेदारी 13 फीसदी रही. पूर्व रक्षामंत्री अरुण जेटली और उनके बाद निर्मला सीतारमण ने मैन्युफैक्चरिंग पर जोर दिया.
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73 दिनों तक चला डोकलाम विवाद

इस साल 10 दिसंबर तक जम्मू-कश्मीर में एलओसी पर 771 बार सीजफायर का उल्लंघन हुआ. पिछले साल के 228 के मुकाबले तीन ये गुना ज्यादा है. उधर, भारत-चीन सीमा पर इस साल सिक्किम स्थित डोकलाम में चीन की ओर से सड़क निर्माण करने को लेकर 73 दिनों तक दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध की स्थिति बनी रही.

28 अगस्त को दोनों देशों की सेना के पीछे हटने के बाद डोकलाम संकट का समाधान हुआ. (फोटो: Liju Joseph/The Quint)
डोकलाम क्षेत्र पर भूटान अपना दावा करता है. इसलिए भारतीय सेना विवादित क्षेत्र का हवाला देते हुए सड़क निर्माण का कार्य रुकवा दिया था. 28 अगस्त को दोनों देशों की सेना के पीछे हटने के बाद इस संकट का समाधान हुआ.

दरअसल, दोनों देशों एक दूसरे की गतिविधियों पर नजर रखते हुए अगले के कदम का इंतजार कर रहे थे. भारतीय सेना ने पूर्वी सीमा पर अपनी तैयारी दुरुस्त कर ली थी, वहीं चीन ने भी अपनी तैयारी कर ली थी. इस दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच लद्दाख क्षेत्र में झड़पें भी हुईं. हिंद महासागर में चीन ने अपने कई जलपोत भी लगा रखे थे.

भारत ने कई देशों के साथ समुद्री सुरक्षा को लेकर कूटनीतिक वार्ताएं की. भारत, अमेरिका और जापान के साथ जुलाई में त्रिपक्षीय मलाबार नौसैनिक अभ्यास किया गया.

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