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भारत बना दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर मार्केट, 4.33 ट्रिलियन डॉलर पहुंची कीमत

Share Market: भारत से आगे देश अमेरिका, चीन और जापान हैं.

महेंद्र प्रताप सिंह
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>हांगकांग को पछाड़ भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर मार्केट, टॉप तीन कौन जानें? </p></div>
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हांगकांग को पछाड़ भारत दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर मार्केट, टॉप तीन कौन जानें?

(फोटो- क्विंट हिंदी)

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भारतीय शेयर बाजार (Share Market) दुनिया का चौथा सबसे बड़ा शेयर मार्केट बन गया है. भारत के शेयर मार्केट ने हांगकांग को पछाड़ कर यह उपलब्धि हासिल की है. ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, सोमवार (22 जनवरी) को बाजार बंद होने तक भारतीय एक्सचेंजों पर लिस्टेड सभी शेयरों का कुल कीमत 4.33 ट्रिलियन डॉलर तक पहुंच गया. जबकि हांगकांग का कुल कीमत 4.29 ट्रिलियन डॉलर था.

भारत से आगे अमेरिका, चीन और जापान हैं. अमेरिका के शेयर मार्केट का कुल कीमत 50.56 ट्रिलियन डॉलर है वहीं चीन का 8.44 ट्रिलियन डॉलर है.

फोटो- क्विंट हिंदी

4 ट्रिलियन डॉलर हुआ था शेयर मार्केट:

भारत के शेयर मार्केट ने पिछले ही साल 29 नवंबर को 4 ट्रिलियन डॉलर के आंकड़े को छुआ था.

  • मई 2007 में बीएसई-लिस्टेड कंपनियों ने 1 ट्रिलियन डॉलर मार्केट कैप के मुकाम को हासिल किया.

  • जुलाई 2017 में मार्केट कैप 2 ट्रिलियन डॉलर पहुंचा. इसे दोगुना होने में 10 साल का समय लग गया.

  • मई 2021 में मार्केट कैप 3 ट्रिलियन डॉलर पहुंच गया.

  • 29 नवंबर 2023 को 4 ट्रिलियन डॉलर तक यह आंकड़ा पहुंच गया.

भारत के शेयर मार्केट के बढ़ने की वजह

तेजी से बढ़ते रिटेल इन्वेस्टर और मजबूत कॉर्पोरेट आय के कारण भारत में इक्विटी तेजी से बढ़ रही है. दुनिया के सबसे अधिक आबादी वाले देश भारत ने खुद को चीन के विकल्प के रूप में स्थापित किया है, जो दुनिया भर के इन्वेस्टर और कंपनियों से पूंजी आकर्षित कर रहा है. इसके पीछे की वजह यहां स्थिर राजनीतिक व्यवस्था और उपभोग-संचालित अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से बढ़ना है.

भारत सरकार ने पिछले कुछ सालों में "ईज ऑफ डूइंग बिजनेस" पर काफी सुधार किया है और पूरे विश्व की कंपनियों को यहां इन्वेस्ट करने की लगातार अपील की.

वहीं हांगकांग में इस गिरावट के पीछे की वजह चीन की कंपनियां हैं. चीन की कई प्रभावशाली कंपनियां यहां सूचिबध्द हैं. चूंकि, चीन पिछले कुछ समय से कई चुनौतियों का सामना कर रहा है. कड़े कोविड-19 प्रतिबंध, कारपोरेटों पर नियामक कार्रवाई, और पश्चिम के साथ भू-राजनीतिक तनाव सभी ने मिलकर चीन की इकॉनमी पर बुरा असर डाला है.

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जिससे इक्विटी में एक ऐसी गिरावट भी शुरू हो गई और अब यह बड़े पैमाने पर पहुंच गई है. चीनी और हांगकांग के शेयरों का कुल बाजार मूल्य 2021 में अपने पीक के बाद से 6 ट्रिलियन डॉलर से अधिक गिर गया है.

वहीं, जो विदेशी कंपनियां हाल में चीन की नीतियों से प्रभावित हुईं और उन्हें नुकसान उठाना पड़ा, वे अब अपना पैसा भारत में लगा रही हैं. विदेशी फंडों ने 2023 में भारतीय शेयरों में 21 अरब डॉलर से अधिक का निवेश किया, जिससे देश के बेंचमार्क S &P BSE सेंसेक्स इंडेक्स को लगातार आठवें साल बढ़त हासिल करने में मदद मिली.

गिलाउम जैसन और पीटर ओपेनहाइमर सहित गोल्डमैन सैक्स ग्रुप इंक के रणनीतिकारों ने फर्म के वैश्विक रणनीति सम्मेलन के एक सर्वेक्षण के परिणामों के साथ 16 जनवरी को एक नोट में लिखा, "इस बात पर स्पष्ट सहमति है कि भारत का बाजार सबसे अच्छा दीर्घकालिक निवेश अवसर है."

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