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भारत और अमेरिका के बीच MQ-9B ड्रोन डील (India-US MQ-9B Drone Deal) को लेकर बातचीत आखिरी दौर में है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) की अमेरिका यात्रा के दौरान इस डील पर मुहर लगने की संभावना है. अगर यह डील फाइनल हो जाती है तो भारत अमेरिका से 30 प्रीडेटर आर्म्ड ड्रोन खरीदेगा. इस डील को भारत की सुरक्षा की दृष्टि से काफी अहम माना जा रहा है. चलिए आपको बताते हैं कि भारत के लिए ये डील क्यों अहम है? इस ड्रोन की क्या खासियतें हैं? और इससे भारत की ताकत में कितना इजाफा होगा?
भारत 30 MQ-9B प्रीडेटर आर्म्ड ड्रोन खरीदना चाहता है. हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (रक्षा अधिग्रहण परिषद) की बैठक में अमेरिकी कंपनी जनरल एटॉमिक्स से सशस्त्र MQ-9B ड्रोन की खरीद को मंजूरी दी गई है. हालांकि इस प्रस्ताव को कैबिनेट कमिटी ऑन सिक्यॉरिटी की हरी झंडी मिलना अभी बाकी है. संभावना जताई जा रही है कि प्रधानमंत्री मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बीच बातचीत होने के बाद इस रक्षा सौदे पर आधिकारिक मुहर लग सकती है.
तीन अरब अमेरिकी डॉलर यानी 25,000 करोड़ रुपए की इस डील में भारत को 30 MQ 9B प्रीडेटर आर्म्ड ड्रोन मिलेंगे, जिनमें से 14 ड्रोन भारतीय नौसेना को और 8-8 ड्रोन आर्मी और एयरफोर्स को मिलेंगे.
भारत को विशेष रूप से लद्दाख में चीन के साथ चल रहे गतिरोध और पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के संदर्भ में अपनी भूमि और समुद्री सीमाओं पर निगरानी और स्ट्राइक क्षमताओं को बढ़ाने के लिये MQ-9B, सशस्त्र ड्रोन की आवश्यकता है.
हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी पनडुब्बियों और युद्धपोतों की बढ़ती उपस्थिति का मुकाबला करने लिए संचार और व्यापार के अपने महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों की रक्षा के लिये भारत को MQ-9B सशस्त्र ड्रोन की आवश्यकता है.
भारत को कश्मीर और अन्य आतंकवादग्रस्त क्षेत्रों में आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए MQ-9B सशस्त्र ड्रोन की आवश्यकता है.
भारत की सुरक्षा के नजरिए से इस डील को बेहद अहम माना जा रहा है. इस डील से सुरक्षाबलों की ताकत में काफी इजाफा होगा. साथ ही मानवरहित रक्षा क्षमताओं को भी मजबूती मिलेगी. इसके साथ ही भारत को अपनी जमीनी और समुद्री सीमाओं पर निगरानी क्षमता बढ़ाने और संभावित खतरों को अधिक प्रभावी ढंग डील करने में भी मदद मिलेगी.
2020 में भारतीय नौसेना ने हिंद महासागर में निगरानी के लिए जनरल एटॉमिक्स से दो MQ-9B सी गार्जियन ड्रोन लीज पर लिए थे. बाद में लीज अवधि बढ़ा दी गई. भारतीय नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में चीन के PLA युद्धपोतों की बढ़ती गतिविधियों पर नजर रखने के लिए अपने निगरानी तंत्र को मजबूत करने में जुटी है. जिसके मद्देनजर ये डील और अहम हो जाती है.
भारत को विशेष रूप से लद्दाख में चीन के साथ चल रहे गतिरोध और पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के संदर्भ में अपनी भूमि और समुद्री सीमाओं पर निगरानी और स्ट्राइक क्षमताओं को बढ़ाने के लिये MQ-9B, सशस्त्र ड्रोन की आवश्यकता है.
हिंद महासागर क्षेत्र में चीनी पनडुब्बियों और युद्धपोतों की बढ़ती उपस्थिति का मुकाबला करने लिए संचार और व्यापार के अपने महत्त्वपूर्ण समुद्री मार्गों की रक्षा के लिए भारत को MQ-9B सशस्त्र ड्रोन की आवश्यकता है.
भारत को कश्मीर और अन्य आतंकवादग्रस्त क्षेत्रों में आतंकवाद विरोधी अभियानों के लिए MQ-9B सशस्त्र ड्रोन की आवश्यकता है.
2019 में अमेरिका ने भारत को सशस्त्र ड्रोन की बिक्री को मंजूरी दी और यहां तक की एकीकृत वायु और मिसाइल रक्षा प्रणाली की पेशकश भी की. जिसके बाद से भारतीय नौसेना हिंद महासागर में अपनी समग्र निगरानी क्षमता को और बढ़ाने के लिए खरीद पर जोर दे रही है. बता दे कि हिंद महासागर क्षेत्र में पिछले कुछ वर्षों में चीनी जहाजों और पनडुब्बियों की घुसपैठ बढ़ी है.
MQ-9B सशस्त्र ड्रोन हासिल करने से अमेरिका के साथ भारत के रक्षा सहयोग को भी बढ़त मिलेगी, जो भारत-प्रशांत क्षेत्र में भारत के लिये एक प्रमुख भागीदार के रूप में उभरा है.
यह सौदा अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ क्वाड समूह में भारत की भूमिका को भी मजबूत करेगा.
MQ-9B सशस्त्र ड्रोन हासिल करने से भारत के रक्षा उद्योग के लिए भी अवसर बढ़ेंगे, क्योंकि इसमें मेक इन इंडिया पहल के तहत प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और संयुक्त उत्पादन शामिल होगा.
MQ-9B ड्रोन के दो वेरिएंट हैं: स्काई गार्डियन और सी गार्डियन. रिपोर्ट्स के मुताबिक, भारत दोनों वेरिएंट खरीदने पर विचार कर रहा है.
सी गार्डियन ड्रोन समुद्री निगरानी के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, वहीं स्काई गार्डियन ड्रोन की तैनाती जमीनी सीमाओं की रखवाली के लिए की जाती है.
ये ड्रोन हर तरह के मौसम में करीब 35 से 40 घंटे तक की उड़ान एक बार में भर सकते हैं.
ये ड्रोन 40000 फीट तक की ऊंचाई तक उड़ान भरने की क्षमता रखते हैं.
यह एक बार उड़ान भरने के बाद 1900 किलोमीटर क्षेत्र की निगरानी कर सकता है.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ये ड्रोन एक घंटे में 482 किलोमीटर तक का सफर तय कर सकते हैं.
सशस्त्र ड्रोन, लड़ाकू विमानों की तरह दुश्मन के ठिकानों पर मिसाइलें और गोला-बारूद दागने की क्षमता रखते हैं.
MQ-9B ड्रोन हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस हैं. इसके साथ ये एंटी-सबमरीन वारफेयर से भी लैस हैं.
इन ड्रोन्स में इन-बिल्ट वाइड-एरिया मैरिटाइम रडार भी होता है.
इन ड्रोन्स का इस्तेमाल मानवीय सहायता, आपदा राहत, खोज और बचाव, एयरबोर्न अर्ली वार्निंग, इलेक्ट्रॉनिक युद्ध, एंटी-सरफेस वॉरफेयर और एंटी-सबमरीन वॉरफेयर में किया जा सकता है.
यह जमीन पर मौजूद दो पायलटों और सेंसर ऑपरेटरों की टीम द्वारा उड़ाए जाते हैं. पायलट टेकऑफ, उड़ान पथ और लैंडिंग को नियंत्रित करते हैं, जबकि सेंसर ऑपरेटर कैमरों और निगरानी उपकरणों को नियंत्रित करते हैं.
भारत और अमेरिका के बीच हाल के सालों में रक्षा सहयोग में काफी इजाफा देखने को मिला है. दोनों देशों के बीच कई महत्वपूर्ण और बड़े सौदे हुए हैं.
फरवरी 2020 में, भारत ने भारतीय नौसेना के लिए अमेरिकी एयरोस्पेस प्रमुख लॉकहीड मार्टिन से 24 MH-60 रोमियो हेलीकॉप्टरों की खरीद के लिए अमेरिका के साथ 2.6 बिलियन अमरीकी डालर का सौदा किया था. हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी शुरू हो चुकी है.
भारत और अमेरिका के बीच 2016 में हुआ लॉजिस्टिक्स एक्सचेंज मेमोरेंडम ऑफ एग्रीमेंट (LEMOA) भी शामिल है, जो उनकी सेनाओं को आपूर्ति की मरम्मत और पुनःपूर्ति के लिए एक-दूसरे के ठिकानों का उपयोग करने की अनुमति देता है.
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