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CAG यानि भारतीय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने अपनी रिपोर्ट में खुलासा किया है कि लेह, लद्दाख और सियाचिन जैसे दुर्गम जगहों पर तैनात जवानों को कपड़े, जूते, स्लीपिंग बैग और सन ग्लासेज जैसी जरूरी चीजों की किल्लत का सामना करना पड़ रहा है.
CAG ने अपनी रिपोर्ट में ये भी कहा कि बॉर्डर पर तैनात जवानों को उनके खाने में पर्याप्त मात्रा में कैलरी भी नहीं मिल पा रही है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, संसद में पेश की गयी अपनी रिपोर्ट में CAG ने खामियों की ओर इशारा करते हुए कहा है कि, जवानों को चार सालों तक बर्फीले स्थानों पर पहने जाने वाले कपड़ों और दूसरे सामानों की तंगी झेलनी पड़ी है. रिपोर्ट में कहा गया है कि बर्फीले इलाके में तैनात सैनिकों को स्नो बूट न मिल पाने की वजह से जवानों को पुराने जूते रिसाइकल कर पहनना पड़ा है.
CAG ने बताया कि रक्षा मंत्रालय की ओर से दिए गए जवाब में कहा गया है कि बजट की कमी और सेना की जरूरतों में बढ़ोतरी की वजह से जवानों को इसका सामना करना पर रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017 में बर्फीले इलाकों में इस्तेमाल होने वाले कपड़ों और सामान की मांग बढ़कर 64,131 हो गई. जिस वजह से सेना में इन सामानों की कमी हो गई.
ऑडिट में पाया गया कि चार साल तक बर्फीले इलाकों में पहने जाने वाले कपड़ों और उपकरणों की खरीद में देरी हुई, जिससे इसकी कमी हुई.
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