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एसोचैम ने देश के बिजनेस स्कूलों पर एक रिपोर्ट जारी की है. रिपोर्ट में गली-गली खुले हुए बी-स्कूलों की गिरती एजुकेशनल क्वालिटी पर जोर दिया है. रिपोर्ट कहती है कि सरकारी मैनेजमेंट स्कूलों को छोड़ दें तो ज्यादातर एमबीए कराने वाले संस्थान बेरोजगारों की खेप निकाल रहे हैं.
एसोचैम की एजुकेशन कमेटी का सर्वे कहता है कि 5,500 बिजनेस स्कूलों में से सरकार द्वारा संचालित IIM और कुछ चुनिंदा संस्थानों को छोड़ दें तो बाकी अन्य संस्थानों से डिग्री लेने वाले रोजगार पाने के लायक नहीं हैं.
सर्वे के मुताबिक पिछले दो सालों में दिल्ली-राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र, मुम्बई, कोलकाता, बेंगलूरु, अहमदाबाद, लखनउ, हैदराबाद, देहरादून जैसे शहरों में करीब 220 बिजनेस स्कूल बंद हो चुके है. इसके अलावा कम से कम 120 ऐसे संस्थान इस साल बंद हो सकते हैं.
खराब एजुकेशनल क्वालिटी और आर्थिक मंदी की वजह से साल 2014 से 2016 के बीच कैम्पस रिक्रूटमेंट में भी 45% तक की भारी गिरावट आयी है.
सर्वे कहता है कि एमबीए करने वालों को 10 हजार रपये से कम की सैलरी मिल रही है. एसोचैम के राष्ट्रीय महासचिव डी. एस. रावत के मुताबिक अनेक संस्थानों का समुचित नियमन भी नहीं हो रहा है.
उन्होंने कहा कि IIM वाले छात्र-छात्राओं को छोड़कर बाकी स्कूलों से पढ़कर निकलने वाले पेशेवरों में से केवल 7% छात्र-छात्राएं ही रोजगार देने योग्य बन पाते हैं.
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