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रेलवे ने फैसला कर लिया है कि महंगे किराए के लिहाज से रेल यात्रियों को फ्लाइट का मजा दिया जाए. इसलिए रेलवे में भी फ्लाइट के तमाम नियम लागू किए जा रहे हैं. डायनामिक प्राइसिंग यानी मांग के हिसाब से टिकट के दाम के बाद अब तय सीमा से ज्यादा लगेज ले जाने पर ज्यादा पैसे चुकाने होंगे और जुर्माना भी लगेगा. लेकिन इस सब तरीकों से ट्रेनों की लेट लतीफी जैसी दिक्कतें दूर होने की गारंटी अभी भी नहीं है.
कमाई बढ़ाने के लिए रेलवे ने वही पिटा पिटाया तरीका ही अपना रहा है जो बरसों से चल रहा है. यानी रेलवे की जमीन, प्लेटफॉर्म और स्टेशन की जगह का कमर्शियल इस्तेमाल वाले बड़े बड़े आइडिया अभी तक सिर्फ आइडिया ही बनकर रह गए हैं.
यानी बोझ यात्रियों की जेब पर ही आने वाला है. हालांकि 3 सालों में रेलवे ने यात्रियों के जरिए कमाई के सारे तरीके आजमा ही लिए हैं.
ट्रेनों में लोग खूब लगेज लेकर चलते थे. लेकिन अब फ्लाइट की तरह यात्री तय सीमा से ज्यादा लगेज ले जाएगा तो उसे ज्यादा टिकट और जुर्माना भी भरना पड़ेगा.
हालांकि, लगेज का नियम पहले से ही बना हुआ है. लेकिन अब इसे सख्ती से अमल करने के आदेश दिए गए हैं.
रेलवे को लगता है कि टिकट में अब और बढ़ोतरी की गुंजाइश कम है, इसलिए नए तरीके निकाले जा रहे हैं.
रेलवे ने कम भीड़ वाले स्टेशनों के प्लेटफॉर्म किराए पर उपलब्ध कराने की योजना तैयार की. इस स्कीम के तहत कोई भी शादी, बर्थडे पार्टी या रिसेप्शन पार्टी के लिए रेलवे प्लेटफॉर्म को किराए पर ले सकते है. लेकिन स्कीम कागजों में ही रह गई. प्लेटफॉर्म लेने कोई आया नहीं.
इस स्कीम में खास तौर पर उन्हीं स्टेशनों को शामिल किया गया है, जहां कम से कम तीन घंटे तक कोई ट्रेन नहीं आती.
रेलवे ने विज्ञापन प्लान शुरू किया जिसमें ट्रेन और स्टेशनों पर कंपनी अपनी ब्रांडिंग कर सकती है, इसके तहत कोई भी कंपनी अपने ब्रांड के लिए किसी ट्रेन के पूरे मीडिया राइट्स भी खरीद सकती है.
रेलवे की ये ऐसी योजना है जिसमें सेंट्रल रेलवे ने इस स्कीम के तहत सबसे ज्यादा रेवेन्यू जुटाया है. रेलवे ने बिना किराया बढ़ाने 2,000 करोड़ रुपए जुटाने का लक्ष्य रखा है.
रेलवे बोर्ड ने हर जोन को कमाई बढ़ाने के नए तरीके ढूंढने का निर्देश दिया है. सेंट्रल रेलवे ने अपने कर्मचारियों की सैलरी स्लिप पर विज्ञापन छापने का फैसला किया है.
रेलवे के मुताबिक, होम लोन देने वाली कंपनियां इसके लिए तैयार हैं. हालांकि इसमें ज्यादा कमाई की उम्मीद नहीं है. इस योजना से कर्मचारियों की स्टेशनरी पर होने वाला खर्च जरूर निकल आएगा.
रेलवे हाईस्पीड रेल मार्गों के दोनों ओर दीवार बनाकर उन पर विज्ञापन करके कमाई की तैयारी कर रही है. रेलवे के मुताबिक दीवारें सुरक्षा का काम करने के साथ कमाई का जरिया भी बन सकती हैं.
रेलवे ने एडवर्टाइजमेंट के जरिये 11 हजार करोड़ रुपये की कमाई का लक्ष्य रखा है, इसमें ट्रेनों पर एडवर्टाइजमेंट भी शामिल हैं.
कमाई के एक और तरीके के तहते रेलवे स्टेशनों के आसपास खाली पड़ी जमीनों को गोदाम के तौर पर इस्तेमाल के लिए लीज पर देने की तैयारी है. रेलवे और अमेजन, फ्लिपकार्ट जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के बीच बातचीत चल रही है. हालांकि अभी तक कोई बड़ी डील नहीं हो पाई है.
स्टेशन पर ही पार्लर, मेडिकल स्टोर जैसी सुविधाएं भी पैसे के बदले मिलेंगे. लेकिन अभी इस योजना के लिए भी ज्यादा रुचि नहीं दिखाई है.
रेलवे बोर्ड ने बीते साल एक अप्रैल से प्लेटफॉर्म टिकट का दाम दोगुना कर दिया था. जिसके चलते पांच रुपये में मिलने वाला प्लेटफॉर्म टिकट 10 रुपये का हो गया था.
हालांकि, रेलवे ने प्लेटफॉर्म टिकट महंगा करने के पीछे तर्क दिया था कि प्लेटफॉर्म टिकट महंगा प्लेटफॉर्म पर अनावश्यक भीड़ को कम करने के लिए किया गया है.
रेलवे ने किराया भले ही न बढ़ाया हो. लेकिन नए नए तरीके ईजाद कर सफर महंगा जरूर कर दिया. रेलवे ने ज्यादातर एक्सप्रेस और सुपर एक्सप्रेस ट्रेन को डायनामिक प्राइसिंग के दायरे में लाकर लोगों के सफर को महंगा कर दिया.
डायनामिक प्राइसिंग में डिमांड के हिसाब से टिकट की प्राइसिंग तय होती है. इसके तहत पहले से टिकट बुक कराने पर कम लेकिन ऐन मौके पर टिकट बुक कराने पर महंगी होगी.
किराया बढ़ाए बिना रेवेन्यू बढ़ाने के लिए रेलवे ने नई पहल की शुरुआत भी की है. इसके लिए लोगों से सुझाव मांगे गए हैं. इतना ही नहीं रेलवे को अगर आइडिया पसंद आएगा तो कमाई का तरीका बताने वाले को 10 हजार रुपये का इनाम भी दिया जाएगा. लोग अच्छे आइडिया भेजें, इसके लिए रेलवे ने एक हजार रुपये की फीस भी रखी है. यानी कि यहां से भी रेवेन्यू का जुगाड़.
इतनी तरह तरह की कोशिशों को बावजूद हकीकत यही है कि मोटी रकम जुटाने वाले रेलवे के बड़े बड़े आइडिया सिर्फ कागजों पर ही हैं. कमाई बढ़ाने के लिए रेलवे को घूम फिरकर यात्रियों के पास आना पड़ता है.
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