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भारतीय रेलवे ने 14 जुलाई को कहा है कि वो अलग-अलग इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के कामों के लिए 6 राज्यों में अक्टूबर 2020 तक 8 लाख दिनों के रोजगार का सृजन करेगी. इससे लोगों को काम मिल सकेगा. ये गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत किया जाएगा.
कोरोना वायरस संकट के बाद लगे लॉकडाउन से जो प्रवासी मजदूरों की समस्या खड़ी हुई, उसको ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने पीएम मोदी के नेतृत्व में गरीब कल्याण रोजगार अभियान चलाया है. बिहार, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, झारखंड और ओडिशा के कुल 116 जिलों के 25,000 से ज्यादा प्रवासी मजूदरों को इस अभियान के लिए चुना गया था.
सरकार के अलग-अलग विभाग योजनाओं के तहत रोजगार सृजन करने का काम कर रहे हैं. गरीब कल्याण रोजगार अभियान के तहत आपके गांवों के विकास के लिए, आपको रोजगार देने के लिए 50 हजार करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं. इस राशि से गांवों में रोजगार के लिए, विकास के कामों के लिए करीब 25 कार्यक्षेत्रों की पहचान की गई है. यह अभियान 125 दिनों तक चलने वाला है.
पीएम मोदी ने इस अभियान को लॉन्च करते वक्त कहा था- "आप सोचिए, कितना टैलेंट इन दिनों वापस अपने गांव लौटा है. देश के हर शहर को गति और प्रगति देने वाला श्रम और हुनर जब खगड़िया जैसे ग्रामीण इलाकों में लगेगा, तो इससे बिहार के विकास को भी कितनी गति मिलेगी."
इसके पहले रेलवे ने 2 जुलाई को एक लेटर लिखते हुए अपने जनरल मैनेजर्स को कहा था कि वो अपनी 50% वैकेंसी काट दे और नई पोस्ट न बनाएं. लेकिन इसके बाद 4 जुलाई को रेलवे ने सफाई जारी करते हुए कहा कि वो आने वाले दिनों में कुछ जॉब प्रोफाइल में बदलाव कर सकते हैं लेकिन किसी भी तरह का जॉब लॉस नहीं होगा. रेलवे बोर्ड के डायरेक्टर जनरल (एचआर) आनंद एस खाटी ने कहा कि हम 'जॉब की रीसाइजिंग कर रहे हैं, डाउनसाइजिंग नहीं कर रहे'
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