Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019ये हैं देश की पहली ट्रांसजेंडर जज, लोगों को दिलाएंगी उनका हक

ये हैं देश की पहली ट्रांसजेंडर जज, लोगों को दिलाएंगी उनका हक

पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर लोक अदालत में नियुक्ति किया गया है देश की पहली ट्रांसजेंडर जज को

प्रसन्न प्रांजल
भारत
Published:
पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर लोक अदालत में नियुक्ति पहली ट्रांसजेंडर जज जोयिता मंडल
i
पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर लोक अदालत में नियुक्ति पहली ट्रांसजेंडर जज जोयिता मंडल
(फोटोःANI)

advertisement

देश को जोयिता मंडल के रूप में पहली ट्रांसजेंडर जज मिल गई है. उनकी नियुक्ति पश्चिम बंगाल के इस्लामपुर की लोक अदालत में की गई है.

उत्तर दिनाजपुर की सब डिविजनल लीगल सर्विसेज कमेटी ऑफ इस्लामपुर ने जोयिता को नियुक्त किया है.

जोयिता इस समुदाय की उन चंद लोगों में से हैं, जिन्होंने तमाम कठिनाइयों का सामना करते हुए कामयाबी की इबारत लिखी है.

अपने हक के लिए लड़ी लंबी लड़ाई

जोयिता को बचपन से ही काफी भेदभाव का सामना करना पड़ा. घरवाले उनकी हरकतों से परेशान होकर उन्हें डांटते थे. स्कूल में उनपर फब्तियां कसी जाती थीं. मजबूरन उन्हें पहले स्कूल छोड़ना पड़ा, फिर 2009 में उन्होंने अपना घर छोड़ दिया.

जब नौकरी के लिए कॉल सेंटर ज्वाइन किया. वहां भी उनका मजाक बनाया जाने लगा. कई बार भीख मांगकर गुजारा करना पड़ा. कहीं पर कोई किराये पर कमरा देने के लिए तैयार नहीं होता था. ऐसे में उन्हें कई बार खुले आसमान के नीचे रात गुजारनी पड़ी.

बाद में जोयिता एक सामाजिक संस्था से जुड़ गईं और सोशल वर्क को अपने जीवन का आधार बना लिया. 2010 से वह सोशल वर्कर के रूप में काम कर रही हैं.

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

अब दूसरों को दिलाएंगी न्याय

29 साल जोयिता की लंबी लड़ाई का सुखद अंत हुआ है. अब वह लोक अदालत की जज बन चुकी हैं. ऐसे में वह दूसरों को न्याय दिलाने का काम करेंगी. लोक अदालत में नियुक्ति के फैसले से जोयिता काफी खुश हैं. उन्होंने कहा देश में काफी ट्रांसजेंडर्स ऐसी हैं, जिन्हें अगर मौका मिले तो काफी बेहतर कर सकती हैं.

सुप्रीम कोर्ट के 15 अप्रैल 2014 के ऐतिहासिक फैसले के बाद ट्रांसजेंडर को थर्ड जेंडर के रूप में एक अलग पहचान मिली. इससे पहले इन्हें पुरुष या महिला के रूप में खुद को दर्शाना होता था. एक अनुमान के मुताबिक भारत में तकरीबन 20 लाख ट्रांसजेडर हैं.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश से मिली अलग पहचान

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद वोटर आईडी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पासपोर्ट से लेकर तमाम प्रतियोगी परीक्षाओं और सरकारी-गैर सरकारी फॉर्म में अब थर्ड जेंडर के रूप में ये अपनी पहचान दर्ज कराती हैं.

इंडियन रेल और आईआरसीटीसी ने भी नवंबर 2016 में टिकट रिजर्वेशन फॉर्म में ट्रांसजेंडर को थर्ड जेंडर के रूप में शामिल किया है. सेंट्रल यूनिवर्सिटी और तमाम शिक्षण संस्थानों में भी अब इन्हें तरजीह दी जा रही है.

जल्दी न्याय के लिए लोक अदालत

देश की अदालतों से मुकदमों का बोझ कम करने के लिए लोक अदालतों की शुरुआत की गई. स्थानीय स्तर के मामलों को निपटाने के लिए. जल्दी और सस्ते तरीके से न्याय दिलाने के लिए जिला स्तर और स्थानीय स्तर पर इसका गठन किया जाता है. 1982 में सबसे पहली लोक अदालत का आयोजन गुजरात में किया गया था. 2002 से इसे स्थायी बना दिया गया है.

इसकी सबसे बड़ी खासियत है कि यहां पर अदालती कार्यवाही के लिए कोई शुल्क नहीं देना होता है. लोक अदालतों में सभी तरह के सिविल मामले, वैवाहिक विवाद, नागरिक मामले, भूमि विवाद, संपत्ति विवाद का निपटारा किया जाता है. दोनों पक्षों के बीच समझौते के जरिये विवादों का समाधान किया जाता है.

लोक अदालतों में आपराधिक मामलों और एक करोड़ से अधिक मूल्य की संपत्ति के मामलों का निपटारा नहीं होता है.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: undefined

Read More
ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT