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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को असम में डिब्रूगढ़ के बोगीबील में ब्रह्मपुत्र नदी पर देश के सबसे लंबे रेल-सह-सड़क (डबल डेकर) पुल का उद्घाटन किया. यह डबल डेकर पुल करीब पांच किलोमीटर लंबा है.
विशाल ब्रह्मपुत्र नदी पर बना, सामरिक रूप से महत्वपूर्ण यह पुल अरूणाचल प्रदेश के कई जिलों के लिए कई तरह से मददगार साबित होगा. डिब्रूगढ़ से शुरू होकर इस पुल का समापन असम के धेमाजी जिले में होता है. यह पुल अरुणाचल प्रदेश के भागों को सड़क के साथ-साथ रेलवे से जोड़ेगा.
असम समझौते का हिस्सा रहे बोगीबील पुल को 1997-98 में मंजूरी दी गई थी. ऐसा माना जा रहा है कि यह पुल अरूणाचल प्रदेश में भारत-चीन सीमा के पास रक्षा गतिविधियों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगा.
इस प्रोजेक्ट की आधारशिला पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा ने 22 जनवरी,1997 को रखी थी, जबकि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली सरकार के कार्यकाल में 21 अप्रैल,2002 को इसका काम शुरू हुआ था. कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार ने 2007 में इसे नेशनल प्रोजेक्ट घोषित किया था.
इसके क्रियान्वयन में देरी के कारण इस परियोजना की लागत 85 प्रतिशत तक बढ़ गई. इसकी अनुमानित लागत 3,230.02 करोड़ रुपये थी जो बढ़कर 5,960 करोड़ रुपये हो गई. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि इस पुल का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि इससे सैनिकों को दक्षिणी किनारे से उत्तरी किनारे जाने में आसानी होगी.
इस पुल से असम में तिनसुकिया और अरूणाचल प्रदेश के नाहरलागुन के बीच ट्रेन की यात्रा का समय 10 घंटे से ज्यादा तक कम हो जाएगा.
ब्रह्मपुत्र नदी पर बने इस रेल-रोड ब्रिज से असम के लोगों को काफी सुविधा मिलेगी. इस ब्रिज से असम से अरुणाचल प्रदेश के बीच दूरी कम होकर सिर्फ 4 घंटे रह जाएगी. पहले इसके लिए तिनसुकिया के रास्ते से होकर 170 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता था. अब लोगों को कई घंटो के इस लंबे चक्कर को लगाने की जरूरत नहीं होगी. साथ ही इस ब्रिज ने ट्रेन यात्रा का समय भी काफी कम कर दिया है. अगर आप दिल्ली से डिब्रूगढ़ की ट्रेन लेते हैं तो अब आपका सफर तीन घंटे कम हो जाएगा. पहले जहां डिब्रूगढ़ पहुंचने में 37 घंटे लगते थे, वहीं अब यह सफर 34 घंटे में पूरा हो जाएगा.
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