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मेनका और इंदिरा के बीच क्यों आई थी दरार? एक किताब खोलेगी राज

डॉक्टर के पी माथुर की किताब में गांधी परिवार के कई अनसुने किस्से

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भारत
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डॉक्टर केपी माथुर 20 साल तक इंदिरा के डॉक्टर थे. (फोटो: Facebook)
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डॉक्टर केपी माथुर 20 साल तक इंदिरा के डॉक्टर थे. (फोटो: Facebook)
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इंदिरा गांधी के निजी चिकित्सक के पी माथुर ने अपनी नई किताब ‘‘द अनसीन इंदिरा गांधी’’ में कई ऐसे इंदिरा और गांधी परिवार के बारे में कई अनसुने किस्सों का जिक्र किया है. सफदरजंग अस्तपाल के पूर्व चिकित्सक के पी माथुर 20 साल तक इंदिरा गांधी के चिकित्सक थे.

राजनीति में मेनका की मदद चाहती थीं इंदिरा

पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी अपने पुत्र संजय गांधी का निधन होने के बाद चाहती थीं कि उनकी छोटी बहू राजनीति में उनकी मदद करे लेकिन मेनका ऐसे लोगों के साथ थीं जो राजीव के विरोधी थे.

<i>हालांकि दिवंगत प्रधानमंत्री का सोनिया के प्रति अनुराग अधिक था लेकिन संजय की मौत के बाद उनका झुकाव मेनका की ओर भी हो गया था.</i>
के पी माथुर की किताब ‘‘द अनसीन इंदिरा गांधी’’ का अंश

कोणार्क प्रकाशन द्वारा प्रकाशित इस किताब में कहा गया है कि

<i>लेकिन इंदिरा का झुकाव मेनका को उनके करीब नहीं ला पाया. सोनिया आम तौर पर घरेलू मामलों का जिम्मा संंभालती थीं जबकि राजनीतिक मामलों में प्रधानमंत्री मेनका के विचारों पर गौर करती थीं क्योंकि मेनका की राजनीतिक समझ अच्छी थी.</i>
के पी माथुर की किताब ‘‘द अनसीन इंदिरा गांधी’’ का अंश

सफदरजंग अस्पताल के पूर्व चिकित्सक माथुर ने करीब 20 साल तक दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के चिकित्सक के तौर पर काम किया और वह हर सुबह इंदिरा से मिलते थे. यह सिलसिला वर्ष 1984 में इंदिरा का निधन होने तक चला. इंदिरा के साथ अपने अनुभवों को ही डा. माथुर ने किताब की शक्ल दी है.

किताब में दावा किया गया है कि संजय गांधी के निधन के कुछ ही साल बाद मेनका ने हालात से सामंजस्य स्थापित करने के बजाय प्रधानमंत्री आवास छोड दिया.

किताब में दावा किया गया है कि,

<i>लेकिन मेनका अक्सर उन लोगों के साथ रहीं जो राजीव के विरोधी थे। इसके चलते संजय विचार मंच नामक संगठन बना जो संजय गांधी की विचारधारा को आगे ले जाना चाहता था। मेनका और उनके वह साथी इस मंच का हिस्सा थे जिनके बारे में कहा जाता था कि वह राजीव के खिलाफ हैं. हालांकि मुझे यह कभी पता नहीं चल पाया कि वह क्या कर रहे हैं</i>

डॉ माथुर ने किताब में संजय विचार मंच के उस सम्मेलन का जिक्र किया है जो लखनउ में हुआ था. उनके अनुसार, इंदिरा तब विदेश दौरे पर थीं और वहां से उन्होंने मेनका को संदेश भेजा था कि वह इस सम्मेलन को संबोधित न करें. लेकिन मेनका नहीं मानीं और सम्मेलन को संबोधित किया.

‘सोनिया इंदिरा का बहुत सम्मान करती थीं’

किताब के अनुसार, राजीव और सोनिया के विवाह के बाद पूर्व प्रधानमंत्री और सोनिया के बीच तालमेल स्थापित होते समय नहीं लगा.

<i>सोनिया इंदिरा को बहुत सम्मान देती थीं और इंदिरा सोनिया को बहुत प्यार करती थीं। सोनिया ने जल्द ही घर की जिम्मेदारी अपने कंधों पर ले लीं.</i>

पढ़ने में गहरी दिलचस्पी रखने वाली इंदिरा रविवार और अवकाश के अन्य दिनों में किताबें पढतीं थीं. उन्हें बायोग्राफी और लोकप्रिय विज्ञान पत्रिकाएं खास तौर पर पसंद दीं. वह अंंतरराष्ट्रीय प्रकाशनों में आने वाले क्रॉसवर्ड पजल भी हल करती थीं. कई बार दोपहर के भोजन के बाद वह ताश खेलती थीं. उनका पसंदीदा खेल ‘‘काली मैम’’ था.

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Published: 12 May 2016,02:53 PM IST

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