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10 हजार रुपए से 2.20 लाख करोड़ रुपए का सफर करने वाली देश की शीर्ष आईटी कंपनी इंफोसिस के मैनेजिंग डायरेक्टर और सीईओ विशाल सिक्का ने शुक्रवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया. सिक्का के इस्तीफे के बाद कंपनी के फाउंडर्स और बोर्ड के बीच चल रही उठापटक एक बार फिर सामने आ गई.
सिक्का के इस्तीफे के बाद कंपनी ने बोर्ड का बयान और इस्तीफे का खत सार्वजनिक कर दिया. इंफोसिस बोर्ड ने जो बयान जारी किया है, उसमें सिक्का के इस्तीफे का जिम्मेदार को-फाउंडर नारायणमूर्ति को बताया है. इसमें कहा गया है कि एन. आर. नारायण मूर्ति लगातार कंपनी और बोर्ड के खिलाफ कैंपेन चला रहे थे.
जाहिर है कि कंपनी को इसका खामियाजा उठाना पड़ेगा. फिलहाल इस्तीफे के तुरंत बाद कंपनी को जो खामियाजा उठाना पड़ा है, वो है:
सिक्का साल 2014 के अगस्त में इंफोसिस से जुड़े थे. फिलहाल, इंफोसिस ने सिक्का का इस्तीफा स्वीकार कर, नए CEO की नियुक्ति तक सिक्का को कंपनी के वाइस प्रेसिडेंट पद की जिम्मेदारी सौंपी है. इंफोसिस के बोर्ड ने अपने बयान में कहा है:
इंफोसिस की बुनियाद रखने वाले मूर्ति और उनके साथियों को लगता है कि कंपनी अपने सिद्धांतों से भटक रही है. उनका मानना है कि इंफोसिस को चलाने में सिर्फ मुनाफा एकमात्र लक्ष्य नहीं होना चाहिए.
उनके मुताबिक हाई स्टैंडर्ड और वैल्यू सिस्टम की वजह से कंपनी ने यह मुकाम हासिल किया है. लेकिन अब उनके उन्हीं सिद्धांतों की अनदेखी हो रही है. इंफोसिस के फाउंडर्स नारायण मूर्ति, क्रिस गोपालकृष्णन, नंदन नीलेकणि, के दिनेश और एस डी शिबुलाल के पास मिलाकर करीब 13% हिस्सेदारी है.
मूर्ति को लगता है कि कॉरपोरेट गवर्नेंस के पहलू में इंफोसिस कमजोर हो रही है. आईटी सेक्टर में चुनौतियां बढ़ रही हैं और मूर्ति के मुताबिक इनसे निपटने के लिए इंफोसिस मैनेजमेंट कुछ नया नहीं कर पा रहा है.
इंफोसिस 1981 में सिर्फ 10 हजार रुपए की पूंजी से बनी. 1993 में लिस्टिंग के बाद से कंपनी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. मूर्ति ने अपने साथ काम करने वालों को भी दिल खोलकर बांटा.
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