advertisement
इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस (ICJ) कुलभूषण जाधव केस में भारत की याचिका पर 17 जुलाई को फैसला सुनाएगा. जाधव भारतीय नौसेना के रिटायर्ड अफसर हैं, जिन्हें पाकिस्तान ने मार्च 2016 में अगवा कर लिया था. पाकिस्तान ने जाधव पर जासूसी और आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगाया गया था. जाधव पर पाकिस्तान में मुकदमा चलाया गया और उन्हें मौत की सजा दी गई
भारत ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि अगर जाधव को दी गई मौत की सजा पर अमल हुआ तो इसे कत्ल माना जाएगा. भारत सजा पर अमल रुकवाने के लिए मई 2017 को इंटरनेशल कोर्ट ऑफ जस्टिस पहुंचा था. भारत का कहना है कि जाधव के मामले में कानूनी प्रक्रिया में बाधा पहुंचाई गई. भारत ने पाकिस्तान पर जाधव को काउंसलर न मुहैया करवाने का आरोप लगाया.
आईसीजे ने इस मामले में 2019 में 18 से 21 फरवरी तक चार दिन सुनवाई की. इस दौरान भारत-पाकिस्तान ने अपनी-अपनी दलीलें पेश कीं. भारत ने अपने केस का आधार दो बड़ी बातों को बनाया. इनमें वियना संधि के तहत काउंसलर एक्सेस और मामले को हल करने की प्रक्रिया शामिल है. भारत ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस से कहा कि वह पाकिस्तान को जाधव को काउंसलर न मुहैया कराने का दोषी ठहराए. काउंसलर न मुहैया कराना न सिर्फ वियना बल्कि नागरिक और राजनीतिक अधिकार के अंतरराष्ट्रीय संधि का भी उल्लंघन है. इस आधार पर आईसीजे से भारत ने जाधव को रिहा करने और भारत सुरक्षित लौटने का आदेश देने को कहा है.
भारत ने इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस से कहा है कि अगर यह संभव नहीं है तो वह पाकिस्तान को मिलिट्री कोर्ट को फैसले को रद्द करने का आदेश दे और नागरिक कानून के तहत मुकदमा चलाने को कहा. इसके जवाब में पाकिस्तान ने आईसीजे से कहा कि भारत की याचिका नामंजूर कर दे और भारत के दावे को पूरी तरह खारिज करे.
भारत पूरी तैयारी के साथ मजबूत दलीलों के साथ जाधव केस में उतरा है. भारत ने जाधव मामले को वियना संधि का उल्लंघन बताया है. उम्मीद है कि भारत की दलीलें जाधव को रिहा करवा सकती हैं. पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह फैसले के बारे में पहले से अनुमान नहीं लगा सकता है. पाकिस्तान ने इस केस में अपनी दलीलें जोरदार तरीके से रखी हैं.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)