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पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मंगलवार को INX मीडिया भ्रष्टाचार मामले में सुप्रीम कोर्ट से जमानत मांगी है. चिदंबरम ने कोर्ट में कहा कि सीबीआई उन्हें अपमानित करने के लिए हिरासत में रखना चाहती है.
चिदंबरम की ओर से पेश सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने जस्टिस आर भानुमती की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि पूर्व वित्त मंत्री या उनके परिवार के सदस्यों पर इस मामले में किसी भी गवाह से संपर्क करने या प्रभावित करने की कोशिश करने के बारे में कोई आरोप नहीं थे.
वकीलों ने शीर्ष अदालत को बताया कि उनके मुवक्किल पर फाइनेंसियल लॉस या फंड वसूलने का कोई आरोप नहीं है. उन्होंने दिल्ली हाई कोर्ट के निष्कर्षों पर भी सवाल उठाया, जिसने 30 सितंबर को चिदंबरम की जमानत याचिका खारिज कर दी थी.
अदालत बुधवार को सीबीआई की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता की दलीलों पर सुनवाई करेगी.
इसबीच, दिल्ली की एक अदालत ने मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय को चिदंबरम से INX मीडिया मनी लॉन्ड्रिंग मामले में पूछताछ की मंजूरी दे दी. कोर्ट ने ये भी कहा कि अगर जरूरी हो तो प्रवर्तन निदेशालय चिदंबरम को गिरफ्तार भी कर सकता है.
चिदंबरम को सीबीआई ने INX मीडिया भ्रष्टाचार मामले में 21 अगस्त को गिरफ्तार किया था. बाद में कोर्ट ने उन्हें 17 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया, फिलहाल चिदंबरम तिहाड़ जेल में बंद हैं.
CBI का आरोप है कि साल 2007 में बतौर वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने INX मीडिया को विदेशी निवेश के लिए गैरकानूनी तरीके से मंजूरी दी थी. इसके बाद पीटर मुखर्जी और इंद्राणी मुखर्जी की कंपनी INX मीडिया में 305 करोड़ रुपये का विदेशी निवेश आया. जबकि अनुमति सिर्फ 5 करोड़ रुपये की थी.
इसके बाद ही विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) से INX मीडिया को मंजूरी दिलाने के आरोप में चिदंबरम जांच के दायरे में आए. सीबीआई के मुताबिक एफआईपीबी की मंजूरी के लिए इंद्राणी मुखर्जी और पीटर मुखर्जी ने तत्कालीन वित्त मंत्री चिदंबरम से मुलाकात की थी.
(इनपुटः PTI)
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