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यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन ने सभी कुलपतियों के नाम एक खुला पत्र लिखा. पत्र लिखने का मकसद 2007 में जारी किए गए उस पब्लिक नोटिस को याद दिलाना था, जिसे स्टूडेंट्स की शिकायतों के बाद जारी किया गया था.
स्टूडेंट्स ने उस वक्त विश्वविद्यालयों पर यह आरोप लगाए थे कि स्पॉट काउंसलिंग, सीट बुकिंग या फिर एडमिशन रजिस्ट्रेशन के साथ जमा की जाने वाली फीस को दाखिला वापस लेने के बाद भी कॉलेज मैनेजमेंट लौटाने से मना कर देता है.
अब नौ साल बाद जब यूजीसी ने अपने पुराने पब्लिक नोटिस और विश्वविद्यालयों की एडमिशन प्रक्रिया को रिव्यू किया, तो पाया कि कई कॉलेज अभी भी स्टूडेंट्स की फीस नहीं लौटा रहे हैं.
यूजीसी के इस लेटर की मानें, तो अब भी फीस रिफंड से जुडी स्टूडेंट्स की शिकायतें कमीशन को मिल रही हैं.
एडमिशन फीस रिफंड करने के मामले में 11 जनवरी को जारी हुए यूजीसी के रिमाइंडर में यह स्पष्ट किया गया था कि कोई भी विश्वविद्यालय प्रबंधन, किसी भी स्टूडेंट की फीस नहीं रोक सकता.
लेकिन दिल्ली की गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी से इस पत्र का हवाला देकर फीस रिफंड की डिमांड कर रहे स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पैसा लौटाने से साफ मना कर दिया. यूनिवर्सिटी ने अपने जवाब में लिखा:
यहां पढ़ें पूरा जवाब...
यहां आपको बता दें कि गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के सेशन 2015-16 में एडमिशन के लिए आवेदक रहे कई ऐसे स्टूडेंट हैं, जो अपना एडमिशन कैंसल करवा चुके हैं. फिर भी यूनिवर्सिटी ने इन स्टूडेंट्स का नाम अपने कॉलेजों में रजिस्टर कर रखा है.
रजिस्ट्रेशन फीस वापसी की डिमांड कर रहे स्टूडेंट्स में बीसीए, बीएड और बीटेक के छात्र शामिल हैं. ये छात्र एडमिशन कैंसल करने की अर्जी यूनिवर्सिटी प्रशासन को दे चुके हैं. कॉलेज में फीस वापसी की अर्जी दे चुके हैं और संबंधित कॉलेजों में प्रोटेस्ट भी कर चुके हैं.
इन्हीं में से एक स्टूडेंट हैं 22 साल की अंजलि चौधरी, जिन्होंने इसी सेशन में बीएड कोर्स के लिए आवेदन किया था. अगस्त में काउंसलिंग हुई और काउंसलिंग में ही रजिस्ट्रेशन की फीस जमा करवा ली गई. लेकिन दस दिन बाद अंजलि ने इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी के कॉलेज से अपना एडमिशन वापस लेने की अर्जी दे दी.
इसके आगे की कहानी बताते हुए अंजलि कहती हैं, ‘तीन बार कॉलेज को और दो बार यूनिवर्सिटी को मैंने फीस रिफंड के लिए लिखा. लेकिन हर बार यही जवाब मिला कि स्पॉट काउंसलिंग का पैसा नहीं लौटाया जा सकता. यह यूजीसी के नियम के खिलाफ है, पर यूनिवर्सिटी इसे नहीं मान रही.’
इस मामले में यूनिवर्सिटी और कॉलेज प्रबंधन का मानना है कि काउंसलिंग के बाद अगर स्टूडेंट्स अपनी सीट छोड़ देते हैं, तो सीट खाली होने से उनका नुकसान होगा.
यूजीसी ने 2007 में जारी किए अपने पब्लिक नोटिस में यूनिवर्सिटी और कॉलेज प्रबंधन की समस्या का भी जवाब दिया था. यूजीसी ने लिखा था कि यूनिवर्सिटीज को अपनी सीटों के लिए एक वेटिंग लिस्ट तैयार करना चाहिए, ताकि किसी एक के सीट छोड़ने पर वह सीट किसी दूसरे स्टूडेंट को मिल सके.
यह ताज्जुब की ही बात कही जा सकती है कि दिल्ली में चल रही गुरु गोविंद सिंह इंद्रप्रस्थ यूनिवर्सिटी, यूजीसी के इन सुझावों में से किसी एक का भी पालन नहीं कर रही है.
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