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IPC, CrPC बदलने की तैयारी: नाबालिग से रेप पर फांसी.. बिल में महिलाओं के लिए क्या?

IPC को 'भारतीय न्याय संहिता' से जबकि CrPC को 'भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता' से बदला जाएगा

मैत्रेयी रमेश
भारत
Published:
<div class="paragraphs"><p>महिला सुरक्षा</p></div>
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महिला सुरक्षा

(फोटो- क्विट/अरूप मिश्रा)

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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) ने शुक्रवार, 11 अगस्त को भारतीय आपराधिक कानूनों में आमूल-चूल बदलाव के लिए लोकसभा में तीन नए बिल (Proposed Changes to IPC, CrPC) पेश किए. खास बात है कि सरकार ने इनके जरिये महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराधों के लिए सजा में कई बदलावों का प्रस्ताव रखा है.

भारतीय दंड संहिता (IPC) को भारतीय न्याय संहिता (BNS) द्वारा रिप्लेस किया जाएगा, आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) को भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (BNSS) से बदला जाएगा जबकि इंडियन एविडेंस एक्ट को भारतीय साक्ष्य (BS) से बदला जाएगा.

तीनों बिल को समीक्षा के लिए स्थायी समिति को भेजा गया है.

चलिए जानते हैं कि महिलाओं की सुरक्षा के मोर्चे पर क्या बदलेगा?

गैंग रेप के लिए न्यूनतम 20 वर्ष की सजा

प्रस्तावित BNSS बिल के अनुसार, गैंग रेप के दोषी व्यक्ति को कम से कम 20 साल की जेल होगी, जबकि अधिकतम सजा आजीवन कारावास होगी.

बिल में कहा गया है, "कठोर कारावास 20 साल से कम नहीं होगा, लेकिन इसे आजीवन कारावास तक बढ़ाया जा सकता है, जिसका मतलब उस व्यक्ति को शेष प्राकृतिक जीवन के लिए कारावास भुगतना पड़ेगा और जुर्माना भी होगा."

IPC में क्या लिखा है?: IPC की धारा 376 (D) गैंग रेप से संबंधित है. यह गैंग रेप के लिए 20 साल के कठोर कारावास से लेकर आजीवन कारावास तक का प्रावधान करती है.

शादी का झूठा वादा करने पर कारावास

BNS बिल के अनुसार, "जो कोई भी धोखे से या बिना शादी के इरादे से किसी महिला से शादी करने का वादा करता है और उसके साथ यौन संबंध बनाता है, और यदि ऐसा यौन संबंध बलात्कार के अपराध की श्रेणी में नहीं आता है, तो भी उसे जेल की सजा होगी. कारावास की अवधि दस वर्ष तक बढ़ सकती है. साथ ही जुर्माना भी लगाया जा सकता है."

IPC में क्या लिखा है?: IPC में ऐसा कोई विशेष प्रावधान नहीं है जो शादी के झूठे वादे के बहाने से यौन संबंध बनाने पर सजा की बात करता हो. हालांकि, आईपीसी की धारा 90[1] के तहत इसे देखा जा सकता है. इस धारा के अनुसार झूठे वादे पर प्राप्त हुई सहमति को वैध सहमति नहीं माना जाता है और ऐसे मामलों को धारा 375 के तहत रेप केस के रूप में माना जाता है. इसके तहत कम से कम 10 साल जेल की सजा या आजीवन कारावास की सजा सुनाई जाती है.

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नाबालिग से रेप पर मौत की सजा

संसद में बिल पेश करते हुए अमित शाह ने कहा कि सरकार अब "नाबालिग से रेप के लिए मौत की सजा" का प्रस्ताव करती है.

बिल में कहा गया है कि अगर अठारह साल से कम उम्र की महिला के साथ एक या अधिक व्यक्ति रेप करते हैं तो उनमें से हर व्यक्ति को रेप का अपराधी माना जाएगा. उन्हें या तो मौत की सजा दी जायेगी या उम्रकैद (20 साल जेल की सजा) दी जाएगी. इसमें जुर्माने का भी प्रावधान है.

IPC में क्या लिखा है?: आपराधिक कानून (संशोधन) अध्यादेश, 2018 के अनुसार, 12 साल से कम उम्र की लड़कियों के साथ गैंग रेप पर कम से कम 20 साल की कैद होगी और इसे आजीवन कारावास या मौत की सजा तक बढ़ाया जा सकता है. वहीं, 16 साल से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार के लिए 20 साल की कैद या आजीवन कारावास की सजा हो सकती है.

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