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पेगेसस स्पाइवेयर बनाने वाली इजरायली कंपनी NSO ग्रुप ने अमेरिकी कोर्ट को बताया है कि स्पाइवेयर के जरिए साइबर हमले उसके सरकारी क्लाइंट्स ने करवाए थे. पेगेसस स्पाइवेयर का इस्तेमाल 2019 में 121 भारतीयों का फोन हैक करने में हुआ था.
WhatsApp ने कंपनी पर साइबर हमलों में शामिल होने का आरोप लगाया था. इन आरोपों का जवाब देते हुए NSO ग्रुप ने अपने जवाब में कहा, "इसमें कोई विवाद नहीं है कि 2019 के अप्रैल और मई में 1400 WhatsApp यूजर को मैसेज करने के लिए पेगेसस का कथित इस्तेमाल विदेशी देशों की सरकारों ने किया था."
NSO ग्रुप ने इस आरोप का खंडन किया है कि उसने कई अमेरिकी सर्वर को नियंत्रित करके इन हमलों को कराया था. कंपनी ने कहा कि उसकी भूमिका सिर्फ 'क्लाइंट के टेक-सपोर्ट' के तौर पर थी और स्पाइवेयर का इस्तेमाल सरकारों ने किया है.
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री रविशंकर प्रसाद ने 28 नवंबर 2019 को संसद में कहा था कि सरकार ने नागरिकों के फोन को "अनधिकृत रूप से इंटरसेप्ट" नहीं किया है.
हालांकि, पूर्व गृह सचिव जीके पिल्लई ने 1 नवंबर को क्विंट को बताया कि वो जानते हैं NSO ग्रुप भारत में ऑपरेट कर रहा है. पिल्लई ने कहा, "कंपनी ने स्पाईिंग सॉफ्टवेयर प्राइवेट फर्म और लोगों को बेचे हैं."
इन लोगों ने 7 नवंबर को सरकार से पूछा कि क्या उसे केंद्र के किसी मंत्रालय या राज्य सरकार के NSO ग्रुप से कॉन्ट्रैक्ट के बारे में जानकारी थी.
अमेरिका के कैलिफोर्निया के कोर्ट में NSO ग्रुप ने फाइलिंग में दावा किया है कि ये कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता क्योंकि हमले विदेशी सरकारों ने कराए थे.
NSO ग्रुप शुरुआत से कहता आ रहा है कि वो अपने प्रोडक्ट्स का लाइसेंस सिर्फ सरकारों, कानूनी एजेंसियों और सरकारी उपक्रमों को बेचता है.
कंपनी ने क्विंट को 1 नवंबर 2019 को ईमेल के जरिए बताया था कि वो 'अपने किसी भी क्लाइंट की जानकारी नहीं दे सकती है'.
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