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इसरो के PSLV-C35 ने सोमवार सुबह 9 बजकर 12 मिनट पर चेन्नई से करीब 110 किलोमीटर दूर स्थित श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से उड़ान भरी. माना जा रहा है कि इसरो के लिए ये मिशन बेहद अहम है. अगर ये मिशन सफल होता है, तो भारत उन देशों की केटेगरी में शामिल हो जाएगा, जिनके पास भारी सैटेलाइट्स को स्पेस में कामयाबी के साथ स्थापित करने की क्षमता है.
आइए जानते हैं इसरो के लिए क्यों अहम है ये मिशन और SCATSAT-1 स्थापित होने से भारत को क्या फायदा होगा.
इसरो के इस मिशन में भारत के लिए सबसे अहम सैटेलाइट-1 को स्थापित करना है. यह सैटेलाइट मौसम के साथ-साथ समुद्र के भीतर होने वाली हर हलचल पर नजर रखेगा और जानकारी भेजेगा. इस सैटेलाइट के जरिए समुद्र में आने वाले तूफानों और चक्रवातों के आने की जानकारी पहले ही मिल जाएगी. मौसम की भविष्यवाणी के लिहाज से SCATSAT-1 मिशन को बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है.
स्कैटसैट-1 को उड़ान भरने के 17 मिनट बाद 730 किलोमीटर ऊंचाई पर स्थित ‘पोलर सनसिंक्रोनस ऑर्बिट’ में छोड़ा जाना है. करीब 377 किलोग्राम वजन के इस सैटेलाइट को तैयार करने में 120 करोड़ रुपए का खर्च आया है.
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) PSLV की मदद से लगातार 35 सफल लॉन्च कर चुका है. भारी वजन वाले सैटेलाइट्स को लॉन्च करने में ज्यादा खर्च आता है. लेकिन भारत सैटेलाइट लॉन्च करने के मामले में अन्य देशों के मुकाबले काफी किफायती रहा है.
अगर भारत बड़े सैटेलाइट को स्पेस में स्थापित करने में सफल हो जाता है, तो सैटेलाइट लॉन्चिंग के मामले में भारत की स्थिति और भी मजबूत हो जाएगी. ऐसे में भारत बाकी देशों के सैटेलाइट लॉन्च कर करोड़ों रुपये की कमाई कर सकता है.
इसरो ने इसी साल जून महीने में PSLV के जरिए एक साथ 20 सैटेलाइट्स को स्पेस में पहुंचाया था. जून में जो सैटेलाइट लॉन्च किए गए थे, उनमें 17 सैटेलाइट विदेशी थे. भारत अभी तक छोटे और हल्के विदेशी सैटेलाइट लॉन्च करता रहा है.
इसरो के मुताबिक, ये मिशन काफी चैलेंजिंग है. अगर ये मिशन सफल होता है, तो भारत उन देशों में शामिल हो जाएगा, जिनमें सिंगल मिशन के जरिए दो अलग-अलग ऑर्बिट में सैटेलाइट स्थापित करने की क्षमता है.
PSLV-C35 रॉकेट के लिए सबसे बड़ा चैलेंज सैटेलाइट्स को दो अलग-अलग ऑर्बिट में स्थापित करना है. लॉन्चिंग के मजह 16 मिनट, 56 सेकेंड में ही यह 730 किलोमीटर की ऊंचाई पर पहुंच जाएगा. इसके बाद 17 मिनट, 33 सेकेंड पर SCATSAT-1 सैटेलाइट PSLV से अलग हो जाएगा. इसके बाद दूसरे सात सैटेलाइट्स को भी एक-एक कर उनकी तय ऑर्बिट में भेजा जाएगा.
इसरो का करीब 44.4 मीटर लंबा पीएसएलवी SCATSAT-1 के अलावा दो एकेडमिक सैटेलाइट भी लेकर गया है. इनमें IIT मुंबई का ‘प्रथम’ और बेंगलुरु की बीईएस यूनिवर्सिटी का ‘पीआई सैट’ शामिल है. ‘प्रथम’ का उद्देश्य कुल इलेक्ट्रॉन संख्या का आकलन करना है, जबकि ‘पीआई सैट’ का मकसद रिमोट सेंसिंग एप्लिकेशंस के लिए नैनोसैटेलाइट के डिजाइन और विकास में मदद करना है.
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