advertisement
अगर आप अब तक हवाई मार्ग के जरिए बेधड़क पटना जाते रहे हैं, तो अब आप सावधान हो जाइए, क्योंकि पटना एयरपोर्ट को देश के 11 सबसे ज्यादा खतरनाक एयरपोर्ट में शामिल किया गया है.
पटना एयरपोर्ट के बारे में सबसे चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इसे पिछले कई सालों से बिना वैध लाइसेंस के संचालित किया जा रहा है.
यह चौंकाने वाला तथ्य उस वक्त सामने आया है जब केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्यमंत्री महेश शर्मा ने रनवे के विस्तार के लिए बिहार सरकार से भूमि उपलब्ध कराने के लिए कहा. महेश शर्मा के मुताबिक बिहार एयरपोर्ट का रनवे एयरबस 300 और एयरबस 321 जैसे विमानों के लिए बेहद छोटा है, इस तरह के विमानों के उतरने के लिए 9,000 फीट लंबे रनवे की आवश्यकता होती है, जिसकी वजह से बड़े विमानों को बिहार एयरपोर्ट पर नहीं उतारा जा सकता है.
केंद्रीय मंत्री महेश शर्मा ने पटना एयरपोर्ट के विस्तार और विकास के लिए बिहार सरकार से जमीन देने की अपील की है. उन्होंने कहा कि अगर बिहार सरकार 55 एकड़ जमीन दे तो एयरपोर्ट के विकास के लिए हर संभव प्रयास करेंगे.
एविएशन मिनिस्ट्री से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, साल 2012 में डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन ने पटना एयरपोर्ट को इसी वजह से ऑपरेटिंग लाइसेंस नहीं दिया था.
एयरपोर्ट के पास स्थित संजय गांधी बायोलॉजिकल पार्क में लगे करीब 3700 पेड़, आस-पास स्थित ऊंची इमारतें और मोबाइल टॉवर भी फ्लाइट की सुरक्षित लैंडिंग में बाधा हैं.
एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पटना एयरपोर्ट को अनफिट करार देते हुए बिहार सरकार को रनवे के पास से अवरोधों को हटाने के लिए एक समयसीमा तय कर दी है.
जानकारी के मुताबिक, अगर पटना एयरपोर्ट अपेक्षित सुरक्षा मानकों को पूरा नहीं करता है तो डीजीसीए लाइसेंस जारी करने का फैसला वापस ले सकता है.
छोटे रनवे को लेकर पायलटों की ओर से एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया को की गई शिकायत के बाद, बिहार सरकार को पटना से करीब 30 किलोमीटर दूर नया एयरपोर्ट विकसित करने के लिए जमीन आवंटित करने को लेकर प्रस्ताव भेजा गया है.
पटना जिला प्रशासन जाहिर तौर पर एयरपोर्ट को बिहटा स्थानांतरित किए जाने के विचार के खिलाफ है.
बिहटा में डिफेंस साइट है, जहां से भारतीय वायुसेना के विमान उड़ान भरते हैं. पटना प्रशासन बिहटा के बजाय एयरपोर्ट को नालंदा स्थानांतरित किए जाने की बात कह रहा है. हालांकि, सिविल एविएशन मिनिस्ट्री इसके खिलाफ है. क्यों कि पटना से नालंदा तक के सफर में पटना से दिल्ली(1 घंटा 40 मिनट) तक पहुंचने से भी ज्यादा वक्त लगेगा.
इसी गतिरोध के बीच, हर रोज पटना पहुंचने वाले करीब 2800 यात्रियों को अपनी जान को लेकर बड़ा जोखिम उठाना पड़ रहा है. आपको बता दें कि, छोटे रनवे की वजह से ही यहां उतरने वाले एयरक्राफ्ट को इमरजेंसी ब्रेक का इस्तेमाल करना पड़ता है.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)