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महिलाओं की वर्जिनिटी को ‘सीलबंद बोतल’ बताने वाले प्रोफेसर हटाए गए

प्रोफेसर ने कहा था- क्या आप कोल्डड्रिंक की बोतल और बिस्किट का पैकेट टूटी हुई सील के साथ खरीदना पसंद करेंगे?

क्‍व‍िंट हिंदी
भारत
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जाधवपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर का विवादित बयान
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जाधवपुर यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर का विवादित बयान
(Photo altered by Quint Hindi)

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महिलाओं की वर्जिनिटी की तुलना सीलबंद कोल्डड्रिंक की बोतल और बिस्किट के बंद पैकेट से करने वाले प्रोफेसर पर जाधवपुर यूनिवर्सिटी ने कार्रवाई की है. कोलकाता की यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर सुरजन दास ने प्रोफेसर कनक सरकार को तुरंत प्रभाव से सभी जिम्मेदारियों से मुक्त कर दिया है.

प्रोफेसर कनक सरकार के आपत्तिजनक बयान के बाद यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल रिलेशन डिपार्टमेंट के छात्रों और टीचरों ने वाइस चांसलर से प्रोफेसर को हटाने की मांग की थी. इसके अलावा सोशल मीडिया पर भी प्रोफेसर के बयान पर कड़ी आपत्ति जताई थी.

18 जनवरी को इस मामले पर यूनिवर्सिटी प्रशासन की राष्ट्रीय महिला आयोग के साथ मीटिंग भी है.

प्रोफेसर कनक सरकार ने फेसबुक पोस्ट में लिखा:

क्या आप कोल्डड्रिंक की बोतल और बिस्किट का पैकेट टूटी हुई सील के साथ खरीदना पसंद करेंगे? आपकी पत्नी के साथ भी ऐसा ही होता है. एक लड़की बॉयोलॉजिकली जन्म से ही सील होती है, जब तक कि उसे खोला न जाए. एक वर्जिन लड़की में वैल्यूज, कल्चर, सेक्सुअल हाइजीन जैसी कई चीजें होती हैं. ज्यादातर लड़कों के लिए वर्जिन पत्नी एक परी की तरह होती है.  

फिर बचाव में ये बोले प्रोफेसर

प्रोफेसर कनक सरकार जाधवपुर यूनिवर्सिटी में पिछले 20 साल से इंटरनेशनल रिलेशन्स पढ़ा रहे हैं. सोशल मीडिया पर विरोध के बाद प्रोफेसर कनक सरकार ने अपनी इमेज सुधारने के लिए फेसबुक पर अपने पुराने न्यूजपेपर आर्टिकल शेयर किए हैं, जिनमें उन्होंने महिलाओं के समर्थन में अपना नजरिया लिखा है.

दूसरी तरफ प्रोफेसर अपनी इस विवादित पोस्ट पर अड़े हुए हैं. उनका कहना है कि उन्होंने अपना नजरिया शेयर किया है, जो कि अभिव्यक्ति की आजादी है.

एक दूसरी पोस्ट में प्रोफेसर ने लिखा, “मैं अपना नजरिया लिखा है. सुप्रीम कोर्ट ने आईटी एक्ट की धारा 66 ए को निरस्त कर दिया है और सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की आजादी दी है. जब तस्लीमा नसरीन ने एक विशेष धर्म के खिलाफ लिखा, तो हमने उनकी आजादी की अभिव्यक्ति का समर्थन किया. हम बंगाली कवि श्रीजातो का समर्थन कर रहे हैं, जो हिंदू देवताओं के बारे में लिखते रहे हैं.”

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