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जेल में बंद दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर जीएन साईबाबा को यूनिवर्सिटी प्रशासन ने रामलाल आनंद कॉलेज से निष्काषित कर दिया है. साईबाबा की पत्नी वसंथा कुमारी ने कहा कि इस कार्रवाई के जरिए उन्हें मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है.
फिलहाल साईबाबा की सजा के खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका लंबित है, ऐसे में नौकरी से निकाले जाने की कार्रवाई पर सवाल उठ रहे हैं.
2017 में महाराष्ट्र के एक कोर्ट ने लेफ्ट विंग एक्स्ट्रीमिस्ट आर्गेनाइजेशन से संबंध रखने के आरोप में साईबाबा को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई थी. यूनिवर्सिटी का कहना है कि नियमों का पालन करते हुए ऐसा किया गया है.
द क्विंट से बातचीत में प्रोफेसर साईबाबा की पत्नी ने कहा कि निष्काषन की इस कार्रवाई को लेकर कॉलेज की कमेटी के काम में अपारदर्शिता दिखी है, और हम निष्काषन की इस कार्रवाई को कोर्ट में चुनौती देंगे.
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, साईबाबा के परिवार को भेजे नोट में कॉलेज के प्रिंसिपल राजेश गुप्ता ने बताया कि उनकी सेवाएं 31 मार्च, 2021 से समाप्त की जा रही हैं और तीन महीने का वेतन उनके सेविंग अकाउंट में डाल दिया गया है.
बता दें जीएन साईबाबा की सजा के खिलाफ मुंबई हाईकोर्ट की नागपुर बेंच में अपील दायर की गई है, जो फिलहाल लंबित पड़ी है.
जीएन साईबाबा को महाराष्ट्र पुलिस ने मई, 2014 में गिरफ्तार किया था. उनपर गैरकानूनी CPI(माओवादी) समेत पुप्पाल्ला लक्ष्मण राव ऊर्फ गनपति से संबंध रखने का आरोप था.
शुक्रवार को डीयू टीचर्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट राजिब रे ने यूनिवर्सिटी के इस कदम की आलोचना की. उन्होंने कहा कि मामले में अपील दायर की गई है, जिसका अभी अंतिम निर्णय आना बाकी है. इसलिए कॉलेज और यूनिवर्सिटी प्रशासन को यह कदम नहीं उठाना चाहिए था.
वहीं साईबाबा के परिवार का कहना है कि यह फैसला उन्हें मानसिक तौर पर प्रताड़ित करने और यातना देने के साथ-साथ डराने के लिए उठाया गया है.
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