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नागरिकता कानून के विरोध में जामिया मिल्लिया यूनिवर्सिटी में हुए विरोध प्रदर्शन के बाद अब अलग-अलग तरीके से उसे याद किया जा रहा है. यहां पुलिस पर जबरन यूनिवर्सिटी में घुसने और छात्रों से मारपीट का आरोप लगाया गया. इसी घटना को याद करते हुए जामिया परिसर के बाहर एक नाटक का मंचन हुआ. जिसका नाम ‘जामियावाला बाग’रखा गया था.
जामिया के छात्रों के एक बयान के मुताबिक जामिया हमदर्द के पुराने छात्रों ने 15 दिसंबर को जामिया मिल्लिया इस्लामिया परिसर में छात्रों पर की गई पुलिस की कार्रवाई की निंदा करते हुए इस नाटक का मंचन किया.
कई राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों वाली जामिया समन्वय समिति यूनिवर्सिटी के गेट नंबर 7 के बाहर विरोध प्रदर्शन का संचालन कर रही थी. इस दौरान जामिया के कई छात्र भी वहां मौजूद रहे और जिन छात्रों ने आंदोलन में हिस्सा लिया उन्हें समर्थन दे रहे थे.
नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के खिलाफ 15 दिसंबर को जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी में जबरदस्त हंगामा हुआ था. इस दौरान जामिया के एक छात्र ने बताया कि इसी हंगामे और पुलिस की पिटाई के दौरान उसकी एक आंख की रोशनी चली गई. जामिया के एलएलएम के छात्र मिन्हाजुद्दीन गंभीर रूप से जख्मी हुए थे. जिसके बाद उन्हें डॉक्टर ने बताया कि उनकी एक आंख की रोशनी चली गई है. इस घटना को लेकर छात्र ने बताया था,
"20 से 30 पुलिसकर्मी हेलमेट और लाठी लेकर यूनिवर्सिटी के लाइब्रेरी में पहुंची और एकाएक लाठीचार्ज कर दिया. पुलिस ने छात्रों को बेरहमी से पीटा. इस दौरान उसकी भी पिटाई हुई जिससे उनकी आंखों को बुरी तरह चोट लगी."
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