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जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने जम्मू-कश्मीर और मुसलमानों को लेकर पाकिस्तान को खरी खोटी सुनाई है. गुरुवार को जमायत उलेमा-ए-हिंद ने दिल्ली में हुई आम परिषद की बैठक में एक प्रस्ताव पारित किया. जिसमें ये दोहराया गया कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के जनरल सेक्रेटरी महमूद मदनी ने कहा,
महमूद मदनी ने कहा भारतीय मुसलमानों को लेकर पाकिस्तान की तरफ से फैलाए जा रहे झूठ पर भी बयान दिया. उन्होंने कहा, “पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर ये प्रोजेक्ट करने की कोशिश कर रहा है कि भारत के मुसलमान भारत के खिलाफ हैं, हम पाकिस्तान की इस हरकत की कड़ी निंदा करते हैं.”
महमूद मदनी ने कहा,
बता दें कि पिछले दिनों जमीयत -ए-उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष देवबंद के मौलाना अरशद मदनी ने आरएसएस सुप्रीमो मोहन भागवत से मुलाकात की थी. मदनी ने यह मुलाकात संघ के दिल्ली कार्यालय केशव कुंज में जाकर की थी. जमीयत उलेमा-ए-हिंद के इतिहास में पहली बार है जब जमायत का कोई अध्यक्ष संघ के अध्यक्ष से मिलने गया हो.
क्विंट से बात करते हुए मौलाना अरशद मदनी ने मोहन भागवत से मुलाकात पर बताया, “मुझे तो इस बारे में पता भी नहीं था, कुछ लोग बोल रहे थे कि ‘क्या आप मोहन भगवत से मिलना चाहेंगे?’ मैंने सोचा ये अच्छा विचार है, मिल सकते हैं. भागवत जी का एक संगठन (RSS) है और बहुत मजबूत संगठन है. मुझे लगता है उनके जैसा भारत में कोई दूसरा नहीं है. वो मुझसे मिलने से इनकार कर सकते थे, लेकिन उन्होंने मुझसे मुलाकात की और मुझे हिंट दी कि हम आगे भी मिलेंगे और बातचीत करेंगे.”
NRC के मुद्दे पर जब मौलाना मदनी से पूछा गया कि अगर सरकार पूरे देश में NRC लागू करना चाहे तो वो उसपर क्या सोचते हैं, इसपर मौलाना मदनी ने कहा,
जमीयत -ए-उलेमा-ए-हिंद मुसलमानों की करीब 100 साल पुरानी संस्था है और इसका देश के मुसलमानों पर बड़ा असर है.
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