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जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में गुरुवार को बड़ा आतंकी हमला हुआ. इस हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए. 2019 में अगर जवानों की मौत की बात करें तो साल के दूसरे महीने में ही ये आंकड़े 50 के करीब पहुंच गए हैं. लेकिन अगर पिछले 5 साल के आंकड़ों को देखेंगे तो पाएंगे कि जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले करीब 94 फीसदी बढ़े हैं.
गृह राज्य मंत्री हंसराज गंगाराम अहीर ने 5 फरवरी 2019 को लोकसभा में पूछे गए एक सवाल के जवाब में बताया कि पिछले पांच सालों में जम्मू कश्मीर में 1,708 आतंकी हमले हुए. जिनमें 339 सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई. 2014 में जम्मू कश्मीर में आतंकी हमले में 47 जवान शहीद हुए थे, वहीं 2018 में ये संख्या बढ़कर 91 हो गई. मतलब 2014 से 2018 के बीच जम्मू-कश्मीर में आतंकी हमले में शहीद होने वाले जवानों की संख्या में 94 फीसदी का इजाफा हुआ है.
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यही नहीं इन पांच सालों में जम्मू- कश्मीर में आतंकी घटनाओं में 176 फीसदी का इजाफा हुआ है. साल 2014 में 222 आतंकी हमले हुए जो 2018 में बढ़कर 614 हो गए.
इन पांच सालों में 400 जवान सिर्फ जम्मू कश्मीर में शहीद हुए हैं. 2014 से लेकर 2019 के 15 फरवरी तक के आंकड़ों की बात की जाए तो इन पांच सालों में 381 जवान आतंकियों का निशाना बने हैं. सबसे ज्यादा आतंकी हमले की घटना पिछले साल मतलब 2018 में हुई थी. 2018 में आतंकी हमलों में 91 सैनिक मारे गए और 38 नागरिकों की जान चली गई.
इसके अलावा गृह मंत्रालय के मुताबिक साल 2014 के मुकाबले साल 2018 में जम्मू-कश्मीर में नागरिकों, सुरक्षा बलों और आतंकवादियों- तीनों की मौतों में बढ़ोतरी हुई है.
साउथ एशिया टेररिज्म पोर्टल के मुताबिक 2014 से 2018 के बीच आम लोगों की मौत में 35.71 फीसदी का इजाफा हुआ है. हालांकि, 2014 के मुकाबले 2018 में 134 फीसदी ज्यादा आतंकी मारे गए थे.
2014 से 2018 के बीच जम्मू-कश्मीर में कुल 1315 लोग आतंकवाद की वजह से मारे गए. इसमें 138 (10.49%) नागरिक थे, 339 (25%) सुरक्षा बल और 838 (63.72%) आतंकी थे.
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