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एक्सक्लूसिव: खुफिया विभाग को अलर्ट के बाद भी हो गया पुलवामा अटैक

जम्मू-कश्मीर पुलिस के खुफिया विभाग को यह रिपोर्ट मिल चुकी थी कि पुलवामा में अटैक हो सकता है

अहमद अली फय्याज
भारत
Updated:
14 फरवरी को पुलवामा के अवंतिपोरा में सुसाइड बम ब्लास्ट की जगह पर तैनात सुरक्षाकर्मी
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14 फरवरी को पुलवामा के अवंतिपोरा में सुसाइड बम ब्लास्ट की जगह पर तैनात सुरक्षाकर्मी
फोटो : PTI 

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पुलवामा हमले से पहले जम्मू-कश्मीर पुलिस के खुफिया विभाग को यहां के अवंतिपोरा इलाके में बड़े फिदाइन हमले की प्लानिंग की रिपोर्ट मिली थी. रिपोर्ट में आशंका जताई गई थी अवंतिपोरा में आतंकवादी बड़ी कार्रवाई को अंजाम दे सकते हैं.

'द क्विंट' के पास वह गोपनीय रिपोर्ट है, जिसमें अवंतिपोरा में हमले की आशंका जताई गई थी. लेकिन इस पर एक्शन नहीं लिया गया. रिपोर्ट में कहा गया था कि त्राल स्थित मिदोरा के मुदासिर खान उर्फ मोहम्मद भाई की अगुआई में जैश आतंकी हमला कर सकता है. इस सूचना पर कोई एक्शन नहीं हुआ. जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों के फिदाइन ब्लास्ट में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए.

रिपोर्ट में इंटेलिजेंस विभाग को बता दिया गया था कि आतंकवादी फिदाइन हमले के लिए अवंतिपोरा पहुंच चुके हैं. पुलवामा में जम्मू-कश्मीर सीआईडी के काउंटर इंटेलिजेंस कश्मीर (CIK) में डीएसपी के तौर पर तैनात शबीर अहमद ने हमले के बारे में 24 जनवरी को अपने विभाग के एसपी सीआईडी को पत्र लिखा था. इस पत्र में कहा गया था कि तीन विदेशी आतंकी ''कुछ खास काम'' से अवंतिपोरा पहुंच चुके हैं.

इस चिट्ठी में लिखा था

सूत्रों से पता चला है कि जैश-ए-मोहम्मद के दो या तीन विदेशी आतंकवादी किसी खास काम से पहुंच चुके हैं. अवंतिपोरा में मुदासिर खान उर्फ मोहम्मद भाई का ग्रुप किसी खास काम से पहुंच सकता है. हो सकता है अगले कुछ दिनों में एक फिदाइन या कोई बड़ा हमला हो. यह ग्रुप राजपोरा में सक्रिय शाहिद बाबा ग्रुप के संपर्क में है. इस बारे में और इनपुट दिया जाएगा.

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आला सूत्रों के मुताबिक 31 जनवरी को एडीजी (पुलिस) डॉ. बी श्रीनिवास ने यह जानकारी जम्मू-कश्मीर पुलिस, सीआरपीएफ और दूसरे सहयोगी संगठनों के कई अफसरों से साझा की थी.

पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स को जो आधिकारिक संदेश भेजा गया था उसमें हाई अलर्ट करने और हाईवे को सेनेटाइज करने का निर्देश दिया गया था. हमले की आशंका को देखते हुए सैनिकों की टुकड़ियां तैनात करने और दूसरे कदम उठाने को भी कहा गया था.

इन संदेशों ने इस ओर इशारा किया था कि जैश ए मोहम्मद के अफजल गुरु स्कवाड 9 से 11 फरवरी तक किसी भी वक्त एक बड़ा हमला कर सकता है.

अफसरों ने कहा, अटैक के लिए इंटेलिजेंस की नाकामी जिम्मेदार

अफसरों के मुताबिक पुलवामा में 40 जवानों की आतंकवादी हमले में मौत की वजह सेना और उसकी यूनिटों के बीच को-ऑर्डिनेशन की कमी थी. कई अफसरों का मानना है कि यह खुफिया विभाग की बड़ी नाकामी का नतीजा है. ,

जम्मू-कश्मीर पुलिस में मझोले रैंक के एक अफसर ने कहा, लगता है हमारे अफसर 9 और 11 फरवरी के बीच फंस गए. 9 फरवरी को पार्लियामेंट में अटैक के दोषी अफजल गुरु और 11 फरवरी को जेकेएलएफ के फाउंडर मकबूल बट को फांसी दी गई थी. 9 और 11 फरवरी को इन दोनों की फांसी की बरसी थी. ये दो रेड अलर्ट डे बीत गए और खुफिया विभाग ने सोचा कि शायद खतरा टल गया. लेकिन ऐसा नहीं था. जैश ने सोच-समझ कर बट को फांसी की बरसी के तीन बाद इस हमले को अंजाम दिया.  

पुलवामा के अटैक के लिए मुदासिर ने कार का इंतजाम किया था

सीआईडी के संदेश में जिस मुदासिर खान का जिक्र है. वही पुलवामा अटैक का मुख्य साजिशकर्ता था. हमले में उसकी मौत हो गई थी. 15वीं कोर के जीओसी केजीएस ढिल्लन ने दावा किया कि मुदासिर खान सेक्यूरिटी फोर्स के साथ एनकाउंटर में मारा गया था. खान ने ही बिजबेहड़ा के मिरहामा को दो लोगों से हमले के लिए कार का इंतजाम किया.

जम्मू-कश्मीर पुलिस में नौकरी हासिल करने में नाकाम रहने पर मुदासिर ने इलेक्ट्रॉनिक्स में कोर्स किया था. उसके बाद उसने एक प्राइवेट टेलीकम्यूनिकेशन कंपनी में काम किया. सरकारी रिकार्ड के मुताबिक वह जैश-ए-मोहम्मद के लिए ओवरग्राउंड काम कर रहा था. उसके 4 फीट के आतंकवादी के तौर पर कुख्यात नूर मोहम्मद तांतरे उर्फ नूरा तराली से काफी करीबी रिश्ते थे. तांतरे ने पुलवामा-त्राल इलाके में जैश को दोबारा जिंदा किया था. वह श्रीनगर-जम्मू हाईवे पर पुलिस और सिक्योरिटी फोर्स पर दर्जनों हमले करवा चुका था.

नूरा पैरोल से भाग कर 2015 में जैश में शामिल हो गया था. उसे 2003 में गिरफ्तार किया गया था. दिसंबर 2017 में एक मुठभे़ड़ में उसकी मौत हो गई थी.

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Published: 08 Apr 2019,02:12 PM IST

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