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महज 23 साल में कैप्टन पवन कुमार शहीद हो गए. भारतीय सेना का ये जाबांज अधिकारी आतंकियों के साथ पंपोर में लड़ते हुए शहीद हो गया. वो एक जाट भी थे और एक जेएनयू ग्रैजुएट भी, लेकिन जाट आरक्षण और जेएनयू विवाद से उन्हें कोई मतलब नहीं था.
उनकी मांगे अलग थीं. कड़कड़ाती ठंड में जम्मू कश्मीर में देश के लिए आंतकियों से लोहा लेता ये जाबांज न आरक्षण चाहता था और न ही आजादी, इसे तो बस अपनी रजाई चाहिए थी.
पंपोर मुठभेड़ में अबतक 6 जवान शहीद हो चुके हैं और 13 जवानों के घायल होने की खबर है. मुठभेड़ शनिवार को सीआरपीएफ पर आतंकियों के गोरिल्ला हमले के बाद शुरू हुआ है.
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