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इंडियन आर्मी के सिपाही चंदू बाबूलाल चव्हाण शनिवार को अपने घर महाराष्ट्र पहुंच गए. उरी आतंकी हमले के बाद भारत ने 29 सितंबर को पीओके में सर्जिकल स्ट्राइक की थी. सर्जिकल स्ट्राइक के कुछ घंटो के बाद ही 22 साल के चंदू गलती से लाइन ऑफ कंट्रोल (एलओसी) पार कर गए थे जहां पाक सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया था.
जम्मू-कश्मीर के मेंढर में 37 राष्ट्रीय राइफल्स की चौकी पर तैनात 22 साल के चंदू के लौटने पर घरवालों के साथ-साथ धुले के बोरविहिर गांव में खुशी की लहर दौड़ गई है. चंदू का जोरदार स्वागत किया गया. उनके भाई ने कहा कि इस बार की होली काफी खुशी लेकर आई है क्योंकि उनका भाई 6 महीने बाद घर वापस आया है.
चंदू के एलओसी पार करके पाक जाने की खबर सुनते ही उनकी दादी का देहांत हो गया था. चंदू ने कहा कि- होली के बाद वो अपनी दादी के अस्थि-विसर्जन का क्रिया-कर्म पूरा करेंगे. मां-बाप के देहांत के बाद दादा-दादी ने ही उनका पालन पोषण किया था.
पाकिस्तान के अधिकारियों ने 21 जनवरी को उन्हें भारत में सौंप दिया था. रिहाई के बाद चव्हाण ने अपने परिवार से कहा था कि ‘उन्हें चार महीने की कैद की सजा के दौरान प्रताड़ित किया गया. नियमित रूप से उनके शरीर में ड्रग्स इंजेक्ट किया जाता था.’
उनके भाई भूषण, जो गुजरात के जामनगर में तैनात एक सेना के जवान हैं, ने दावा किया था कि उनके भाई की शरीर पर कई चोटें, विशेष रूप से दाहिने हाथ की उंगलियों पर काफी जख्म थे.
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