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पूरी दुनिया में गुरुवार को योग दिवस मनाया गया. देशभर में एनडीए के तमाम नेता योग करते नजर आए, लेकिन एनडीए की सहयोगी जेडीयू ने योग दिवस से किनारा कर लिया. बिहार में कई जगहों पर योग कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. जिसमें एनडीए में शामिल लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) और राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (आरएलएसपी) के नेताओं ने तो बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया लेकिन जनता दल (यूनाइटेड) ने इन कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखी.
पटना के पाटलिपुत्र स्पोर्ट्स मैदान में योगा डे पर कार्यक्रम रखा गया था, लेकिन इसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार शामिल नहीं हुए.
इस कार्यक्रम में राज्यपाल सत्यपाल मलिक और बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी शामिल हुए. इसके अलावा केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद और रामकृपाल यादव ने भी इस कार्यक्रम में शिरकत की. लेकिन सीएम नीतीश कुमार या जेडीयू के दूसरे नेता इस कार्यक्रम में नजर नहीं आए. नीतीश के योग कार्यक्रम में न आने पर डिप्टी सीएम सुशील मोदी सफाई देते नजर आए.
बिहार में सरकार ने योग कार्यक्रम तो आयोजित किए, लेकिन सीएम नीतीश और उनके मंत्रियों ने इन कार्यक्रमों से दूरी बनाए रखी. ऐसे में जब सवाल उठे तो जेडीयू सफाई देती नजर आई.
जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि योग को किसी सहभागिता से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. योग तो कहीं भी, कभी भी किया जा सकता है. लोग तो अपने घर में भी योग करते हैं. सार्वजनिक रूप से योग नहीं करने का यह मतलब तो नहीं है कि हम लोगों को योग से परहेज है.
एनडीए में शामिल होने के बावजूद योग कार्यक्रमों से जेडीयू के दूरी बनाने के पीछे दो वजह बताई जा रहीं हैं. पहली वजह ये है कि योग को धर्म विशेष से जोड़कर देखा जाता है. ऐसे में इस तरह के आयोजन में शामिल होने से जेडीयू को अपनी धर्म निरपेक्ष छवि को खतरा पैदा होने का डर था. इसी वजह से सरकार ने योग कार्यक्रमों का आयोजन तो किया लेकिन नीतीश कुमार ने आयोजन से दूरी बनाए रखी.
योग दिवस के कार्यक्रमों से दूरी की दूसरी वजह जेडीयू की बेरुखी है. हाल के दिनों में पैदा हो रहे हालात संकेत कर रहे हैं कि जेडीयू के कई नेता एनडीए में शामिल होने के फैसले से खुश नहीं हैं. जेडीयू को लग रहा है कि बीजेपी के साथ रहने से उसके जनाधार को नुकसान पहुंच सकता है. इसीलिए नीतीश लगातार एनडीए से अलग राह के संकेत दे रहे हैं. नोटबंदी की आलोचना के बाद अब योग दिवस के कार्यक्रमों से दूरी भी इसी बात का संकेत है.
इसके अलावा नीतीश आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू की राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने की मांग और दिल्ली में एलजी दफ्तर में सीएम अरविंद केजरीवाल के धरने को समर्थन के जरिए भी इसी तरह का संकेत दे चुके हैं.
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