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मनु शर्मा रिहा: 1999 से 2020 तक,जेसिका लाल मर्डर केस की पूरी कहानी

जेसिका लाल हत्याकांड का आरोपी मनु शर्मा जेल से रिहा

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जेसिका लाल हत्याकांड का आरोपी मनु शर्मा जेल से रिहा
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जेसिका लाल हत्याकांड का आरोपी मनु शर्मा जेल से रिहा
(फोटो: Twitter/Altered by The Quint)

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देश में रोजाना कई क्राइम होते हैं, लेकिन कुछ ऐसी घटनाएं होती हैं, जिन्हें कई सालों तक याद रखा जाता है. मीडिया और लोगों की ताकत से कुछ केस इतने बड़े बन जाते हैं कि वो हमेशा के लिए लोगों के जेहन में बस जाते हैं. ऐसा ही एक केस था मशहूर मॉडल जेसिका लाल मर्डर केस, जिसने सियासी हस्तियों से लेकर फिल्मी दुनिया तक को हिलाकर रख दिया था. अब इस मर्डर केस के मुख्य दोषी मनु शर्मा को 14 साल सजा काटने के बाद रिहा कर दिया गया है. ऐसे में हम आपको इस केस की पूरी कहानी बताते हैं.

इस मर्डर केस की कहानी शुरू हुई दिल्ली के एक रेस्टोरेंट से, जहां मनु शर्मा और जेसिका लाल दोनों मौजूद थे. 29 अप्रैल 1999 की रात रेस्टोरेंट में मनु शर्मा ने जेसिका लाल की सिर्फ इसलिए गोली मारकर हत्या कर दी थी, क्योंकि उसने शराब परोसने से इनकार कर दिया था. मनु शर्मा कोई आम आदमी नहीं था, बल्कि हरियाणा के बड़े नेता विनोद शर्मा का बेटा था. इसलिए ये केस पहले से ही हाई प्रोफाइल था.

मनु शर्मा जेसिका की हत्या कर फरार हो गया. पुलिस ने उसकी तलाश में जगह-जगह छापेमारी की. दिल्ली पुलिस ने मनु शर्मा की कार को यूपी के नोएडा से बरामद किया. जिसके बाद आखिरकार मनु शर्मा ने 6 मई 1999 को चंडीगढ़ की एक अदालत में सरेंडर कर दिया. मुख्य आरोपी के सरेंडर के बाद 10 अन्य आरोपियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया.

कोर्ट में किया सरेंडर

मनु शर्मा जेसिका की हत्या कर फरार हो गया. पुलिस ने उसकी तलाश में जगह-जगह छापेमारी की. दिल्ली पुलिस ने मनु शर्मा की कार को यूपी के नोएडा से बरामद किया. जिसके बाद आखिरकार मनु शर्मा ने 6 मई 1999 को चंडीगढ़ की एक अदालत में सरेंडर कर दिया. मुख्य आरोपी के सरेंडर के बाद 10 अन्य आरोपियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया. इनमें से भी कुछ लोग राजनीतिक घरानों से ताल्लुक रखते थे.

इसके बाद 3 अगस्त 1999 को सभी आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की. जिसके बाद मामला सेशन कोर्ट पहुंचा और एक को छोड़कर बाकी सभी 9 आरोपियों पर आरोप तय हुए. इसके बाद कई तारीख लगीं, गवाहों को पहचान के लिए बुलाया गया, जिनमें से कुछ पलट गए. लेकिन रेस्टोरेंट की मालकिन मालिनी रमानी और उनके पति ने मनु शर्मा की शिनाख्त कर ली. लेकिन 21 फरवरी 2006 को कोर्ट ने सबूतों के अभाव में मनु शर्मा समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया.

लोगों के गुस्से ने दिलाया इंसाफ

अब जब आरोपियों को रिहा कर दिया गया तो जेसिका के परिवार ने हिम्मत नहीं हारी. उन्होंने इस केस को और तेजी के साथ उठाया और मामला मीडिया में उछलता चला गया. देखते ही देखते जेसिका लाल मर्डर केस पूरे देश की नजरों में आ गया और लोगों का गुस्सा दिखने लगा. पूरे देशभर से आवाज उठने के बाद केस दोबारा खुला. दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट में अपील की और सुनवाई शुरू हुई.

29 नवंबर 2006 को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया. जिसके बाद 18 दिसंबर 2006 को हाईकोर्ट ने मनु शर्मा समेत कुल तीन लोगों को दोषी करार दिया. बाकी 6 लोगों को बरी कर दिया गया. इसके ठीक दो दिन बाद 20 दिसंबर को सजा का ऐलान हुआ और मनु शर्मा को 50 हजार रुपये जुर्माने के साथ उम्रकैद की सजा सुनाई गई.
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इसके अलावा बाकी दो दोषियों को चार-चार साल की सजा सुनाई गई थी. कोर्ट के इस फैसले से देशभर के लोगों में खुशी की लहर दौड़ पड़ी. सभी ने इस फैसले का स्वागत अपने अंदाज में किया. मनु शर्मा ने इसके बाद साल 2007 और 2008 में सुप्रीम कोर्ट में अर्जियां भी लगाईं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने दोनों याचिकाएं खारिज कर दीं. 2010 में सुप्रीम कोर्ट में दायर आखिरी याचिका में भी उसकी सजा को बरकरार रखा गया था.

ये केस इतना बड़ा था कि इसे लेकर बॉलीवुड में एक फिल्म भी बनाई गई. जिसका टाइटल था- ‘नो वन किल्ड जेसिका’, इस फिल्म को लोगों ने काफी पसंद भी किया था. फिल्म में दिखाया गया कि कैसे आम लोगों की ताकत से जेसिका मर्डर केस अपने अंजाम तक पहुंचा.  

लगातार मिलती रही फरलो

मनु शर्मा को भले ही उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, लेकिन उसे कई बार फरलो और परोल मिली जिससे वो जेल से बाहर आता रहा. एक फरलो के दौरान ही उसने साल 2015 में शादी भी रचाई. सजा मिलने के बाद शर्मा की शादी टल गई थी. शर्मा को अपने भाई की शादी, अपनी परीक्षाओं के लिए और अपनी दादी के अंतिम संस्कार के लिए भी परोल पर छोड़ा गया था. उसे पिछले 10 सालों में कई बार परोल और फरलो मिली है.

बता दें कि लंबी अवधि की सजा में फरलो दी जाती है, जिसमें एक हफ्ते से लेकर 14 दिन तक दोषी को रिहाई दी जाती है. आमतौर पर ऐसे अपराधियों को फरलो इसलिए दी जाती है, क्योंकि उनकी मानसिक स्थिति ठीक रहे. हालांकि जेल डीआईजी की इजाजत के बिना फरलो नहीं मिलती है. वहीं परोल किसी न किसी कारण की वजह से दी जाती है.

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Published: 02 Jun 2020,05:31 PM IST

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