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वित्तीय संकट से जूझ रही एयरलाइंस कंपनी जेट एयरवेज पर ताला लग सकता है. कंपनी ने सोमवार को बोर्ड की बैठक बुलाई थी, जिसमें वित्तीय संकट से जुड़े मुद्दों पर चर्चा हुई. कंपनी से जुड़े सूत्रों की मानें तो अभी तक कर्जदाताओं की तरफ से कंपनी को अंतरिम वित्तीय राहत नहीं मिली है.
सोमवार को हुई बोर्ड की बैठक के बाद कंपनी के सीईओ विनय दुबे ने कर्मचारियों को एक ईमेल भेजा था, जिसमें बताया गया कि बैंक इमरजेंसी फंडिंग पर अब तक फैसला नहीं कर सके हैं. बैठक के बाद बोर्ड ने ऑपरेशन को रोकने की सलाह दी. हालांकि, आज मंगलवार को भी कंपनी बोर्ड की मीटिंग हो रही है. इस बैठक में जेट एयरवेज की उड़ानें बंद करने पर फैसला हो सकता है.
संकटग्रस्त जेट एयरवेज के कर्मचारियों की निराशा चरम पर पहुंच चुकी है, क्योंकि कंपनी बंद होने के करीब पहुंच चुकी है. अभी तक कर्जदाताओं की तरफ से कंपनी को अंतरिम वित्तीय राहत नहीं मिली है और कर्मचारियों सभी उम्मीदें धूमिल हो चुकी हैं और वे कठिन परिस्थितियों के लिए तैयार हो चुके हैं.
कंपनी के एक इंजीनियर ने अपना दैनिक खर्च चलाने के लिए एलआईसी पॉलिसी गिरवी रखकर कर्ज लिया है. उन्होंने बताया, "हम अपने बकाए को पाने के लिए श्रम आयुक्त का दरवाजा खटखटाने जा रहे हैं."
एयरलाइन के सूत्रों ने बताया कि जेट एयरवेज के सैंकड़ों पायलट अगले कुछ दिनों में कंपनी छोड़ कर जानेवाले हैं, क्योंकि उन्हें कंपनी के आगे चलने का कोई भरोसा नहीं है. इंजीनियर ने कहा, "जेट एयरवेज का शेयर अचानक काफी गिर चुका है. यह संकेत है कि एयरलाइन के लिए कुछ बचा नहीं है और वह अपना ऑपरेशन बंद करने जा रही है."
सिविल एविएशन मिनिस्टर सुरेश प्रभु ने मंगलवार को अपने मंत्रालय के अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे वित्तीय संकट से जूझ रहे जेट एयरवेज से संबंधित मुद्दों जैसे हवाई किरायों में वृद्धि, उड़ानें रद्द होना, यात्री अधिकारों और सुरक्षा की समीक्षा करें.
प्रभु ने ट्वीट किया, "सिविल एविएशन मिनिस्ट्री के सेक्रेटरी को जेट एयरवेज से संबंधित मुद्दों खासकर बढ़े किराए, उड़ानें रद्द होने जैसे मुद्दों की समीक्षा करने के लिए निर्देश दिया है. उनसे (प्रदीप सिंह खरोला) यात्री अधिकारों और सुरक्षा के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए कहा है और सभी हितधारकों के कल्याण के लिए उनके साथ काम करने के लिए कहा है."
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