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झारखंड विधानसभा (Jharkhand Legislative Assembly) ने मंगलवार को मॉब वायलेंस और मॉब लिंचिंग विधेयक(mob lynching bill), 2021 को मंजूरी दे दी,जिसमें मॉब लिंचिंग में शामिल लोगों के खिलाफ तीन साल से लेकर आजीवन कारावास और 25 लाख रुपये तक के आर्थिक जुर्माने का प्रावधान है. सरकार की ओर से कहा गया है कि भीड़ की हिंसा को रोकने के लिए यह विधेयक लाया गया.
इस कानून के तहत गैर जिम्मेदार तरीके से किसी सूचना को शेयर करना, पीड़ितों और गवाहों के लिए शत्रुतापूर्ण वातावरण बनाने पर भी एफआईआर दर्ज की जाएगी. साथ ही पीड़ितों का मुफ्त इलाज भी इस कानून के प्रावधान में है.
हालांकि राज्य की प्रमुख विपक्षी पार्टी बीजेपी ने इसे हड़बड़ी में और एक वर्ग विशेष को खुश करने के लिए लाया गया विधेयक बताते हुए सदन का बहिष्कार किया. बीजेपी विधायकों के वॉकआउट के बीच सदन ने विधेयक को मंजूरी दे दी.
17 जून, 2019 को हुई घटना में, जिसने राष्ट्रीय सुर्खियां बटोरीं, 24 साल के तबरेज अंसारी को चोरी के संदेह में सरायकेला खरसावां जिले के धतकीडीह गांव में भीड़ द्वारा कथित तौर पर एक पोल से बांध दिया गया और बेरहमी से पीटा गया. एक वीडियो में अंसारी को कथित तौर पर "जय श्री राम" और "जय हनुमान" का नारा लगाने के लिए मजबूर किया जा रहा था. 22 जून को न्यायिक हिरासत में उसकी मौत हो गई थी.इस घटना को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद में कहा था कि वह इस घटना से आहत हैं.
झारखंड में 2019 के विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भीड़ की हिंसा की घटनाओं की निंदा की थी. वहीं, इस साल की शुरुआत में, झारखंड मुक्ति मोर्चा की अगुवाई वाली सरकार ने उच्च न्यायालय से फटकार के बाद ऐसे मामलों से निपटने के लिए जिला स्तरीय समितियां बनाने का फैसला किया था.
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