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झारखंड में मानवता को शर्मसार कर देने वाली घटना सामने आयी है. यहां के जिला अस्पताल में इलाज के दौरान एक बच्ची की मौत हो जाती हैं. लेकिन बच्ची का शव ले जाने के लिए अस्पताल परिवार वालों को एक एंबुलेंस मुहैया नहीं करवा पाती. जिससे मजबूर होकर पिता अपनी बेटी का शव बाइक पर लादकर ले जाता है.
मामला झारखंड के गोड्डा जिले के जिला सदर अस्पताल का है. पेलगढ़ी पंचायत के कुर्मीचक निवासी महादेव साह की 12 साल की बेटी ललिता कुमारी की अचानक तबीयत खराब होने पर उसे प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहां जब हालत नहीं सुधरी, तो बेहतर इलाज के लिए उसे सदर अस्पताल लाया गया. लेकिन वहां पहुंचते ही डॉक्टरों ने ललिता को मृत घोषित कर दिया.
अपनी बेटी का शव ले जाने के लिए महादेव ने अस्पताल प्रशासन से एंबुलेंस मुहैया करवाने की गुजारिश की. लेकिन अस्पताल प्रशासन ने इससे इनकार कर दिया. मजबूर होकर आखिरकार महादेव को अपनी बेटी की डेड बॉडी बाइक पर लादकर ले जानी पड़ी.
इस घटना ने न केवल इंसानियत को शर्मसार किया है, बल्कि मेडिकल लॉ एंड एथिक्स के नियमों को भी ताक पर रखा गया.जब राज्य के मुख्यमंत्री कई बार निर्देश दे चुके हैं कि अस्पताल किसी व्यक्ति के शव को ले जाने के लिए एंबुलेंस देने से इनकार नहीं कर सकता, उसके बावजूद ऐसी घटना बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करती है. हालांकि डॉक्टर्स ने अपनी सफाई देते हुए कहा है कि परिजनों ने एंबुलेंस के लिए किसी किस्म की कोई मांग नहीं की थी.
यह खबर देखते ही देखते सोशल मीडिया पर वायरल हाे गयी और पूरे शहर में अस्पताल प्रबंधन की पोल खुलने लगी. इसके बाद मामले पर डीसी के निर्देश पर एसडीओ नमन प्रियेश लकड़ा और एसडीपीओ अभिषेक कुमार ने संयुक्त रूप से जांच की. जांच टीम गांव पहुंच कर महादेव साह से मामले की जानकारी ली. उसने बताया कि उसने बेटी की तबीयत खराब होने पर पड़ोस में रहने वाले बाइक चालक के साथ सदर अस्पताल पहुंच कर डॉक्टर को दिखाया. ड्यूटी पर तैनात डाॅ. सीएल वैद्य ने महादेव को इस बात की जानकारी दी कि अस्पताल लाने से पहले ही बच्ची की मौत हो गयी है.
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