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झारखंड हाई कोर्ट ने 16 अप्रैल को पूर्व सांसद सोम मरांडी और पांच अन्य लोगों को जमानत दी. लेकिन जमानत की एक शर्त ये भी थी कि सभी छह लोग केंद्र सरकार का 'आरोग्य सेतु' ऐप डाउनलोड करेंगे. ये कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग ऐप सरकार ने कोरोना वायरस महामारी पर लगाम कसने के लिए बनाया है.
मरांडी और पांच अन्य लोगों ने हाई कोर्ट में क्रिमिनल रिवीजन पेटिशन दायर की थी. ये पेटिशन निचली अदालत के उस फैसले के खिलाफ दायर की गई थी, जिसमें इन छह लोगों पर दोषसिद्धि और सजा की पुष्टि हुई थी. इन लोगों पर झारखंड के पाकुर जिले में 2012 में रेलवे ट्रैक पर प्रदर्शन करने का केस चल रहा है. मामले की सुनवाई के दौरान ही इन लोगों ने अपनी सजा के निलंबन और जमानत की अर्जी दी थी.
इस बीच याचिकाकर्ताओं के वकीलों ने कहा कि वो जमानत के लिए जज की कोई भी शर्त मानने के लिए तैयार हैं. इसके अलावा उन्होंने कोरोना वायरस से निपटने के लिए बनाए गए पीएम केयर फंड में 35,000 रुपये प्रति व्यक्ति देने की बात कही.
जस्टिस चौधरी याचिकाकर्ताओं के इस सुझाव को मान गईं और उन्हें निर्देश दिए कि छोड़े जाने से पहले वो फंड में पेमेंट का सबूत देंगे. मोबाइल नंबर और आधार नंबर देने के साथ-साथ ये बात विवादित नहीं थी.
आरोग्य सेतु ऐप केंद्र सरकार की एक पहल है. इस ऐप के जरिए सरकार कोरोना वायरस संक्रमित लोगों की कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग करना चाहती है. पीएम मोदी के साथ ही कई केंद्रीय मंत्री लोगों को इस ऐप को डाउनलोड करने के लिए कह रहे हैं. लेकिन अभी तक केंद्र या झारखंड सरकार ने इसे डाउनलोड करना अनिवार्य नहीं किया है.
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