Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019झारखंड लॉकडाउन: सैकड़ों गरीबों को तीन महीने से नहीं मिला राशन

झारखंड लॉकडाउन: सैकड़ों गरीबों को तीन महीने से नहीं मिला राशन

क्विंट ने झारखंड के तीन अलग-अलग जगहों पर पड़ताल की, नतीजे डराने वाले रहे

मोहम्मद सरताज आलम
भारत
Updated:
क्विंट ने एक झारखंड की तीन अलग-अलग जगहों पर पड़ताल की.
i
क्विंट ने एक झारखंड की तीन अलग-अलग जगहों पर पड़ताल की.
(फोटो: मोहम्मद सरताज आलम)

advertisement

26 मार्च को केंद्र सरकार ने कमजोर आर्थिक वर्ग के लोगों के लिए 1.70 लाख करोड़ के पैकेज का ऐलान किया. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि कोरोना के चलते लॉकडाउन की वजह से कोई भूखा नहीं रहेगा. प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत गरीब परिवारों को हर महीने PDS यानी राशन की सरकारी दुकानों से 5 किलो अतिरिक्त गेहूं या चावल तीन महीने तक देने का ऐलान किया गया. झारखंड की तीन जगहों पर हमने जाकर पता लगाया कि क्या गरीबों को राशन मिल रहा है. हमें चौंकाने वाली जानकारी मिली.

क्विंट की पहली पड़ताल

झारखंड में पलामू जिले के सतबरवा ब्लॉक की पंचायतों को तीन महीने से राशन नहीं मिला है. यहां एक पंचायत है पोची. यहां राशन डीलर हैं अजय कुमार. डीलर ने पिछले तीन महीनों में ग्रामीणों के दो बार अंगूठे लगवा लिए और कहा कि 2-3 दिनों में राशन मिल जाएगा. लेकिन ग्रामीणों का कहना है कि दो बार अंगूठा लगने के बाद भी राशन नहीं मिला.

राशन के लिए जिला उपायुक्त से मिलने पहुंची पोची पंचायत की महिलाएं(फोटो: मोहम्मद सरताज आलम)

पोची पंचायत की महिलाएं अपना परेशानी लेकर जिला उपायुक्त से भी मिलने पहुंची थीं. पोची गांव के अजय ने कहा- "6 मार्च को पोची ग्रामवासियों की जन सुनवाई में भी जिला उपयुक्त को इस बारे में बताया था, लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई."

ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

क्विंट की दूसरी पड़ताल

दूसरा मामला झारखंड में पलामू जिले की रेवरातू पंचायत के चापि गांव का है. यह गांव भी सतबरवा ब्लॉक में है. यहां तूरी समुदाय के लोग रहते हैं. ये लोग बांस का सामान बनाकर बेचते हैं, जिससे इनका गुजारा चलता है. लेकिन लॉकडाउन के कारण ये लोग भी घर बैठ गए हैं. इस गांव के रहने वाले चरखु तूरी बताते हैं-

“होली से पहले डीलर से राशन मिला था. आज हमारे गांव में बहुत से ऐसे परिवार हैं जिनके घरों में खाने को नहीं है. ये परिवार बांस के सामान बनाकर घर चलाते थे. अब लॉकडाउन की स्थिति में इन परिवारों का काम बंद है, कमाई का जरिया भी पूरी तरह से बंद हो गया है.”
तूरी समुदाय, रेवारातु पंचायत, पलामू, झारखंड(फोटो: मोहम्मद सरताज आलम)

क्विंट ने उनसे सरकार की ओर से एडवांस में दिए जाने वाले राशन के बारे में पूछा. इसपर चरखु तूरी ने कहा, "डीलर के पास गए थे. वह बोले राशन तो आया है लेकिन 12 अप्रैल तक मिलेगा."

चरखु तूरी ने कहा-

“अब आप ही बताइए 50 से ज्यादा भूखे प्यासे परिवार हैं. 12 अप्रैल तक ये परिवार क्या खाकर जिंदा रहेंगे?”
डीलर अजय कुमार की राशन दुकान(फोटो: मोहम्मद सरताज आलम)

पलामू जिला प्रशासन ने क्या कहा?

यहां की हालत कितनी दयनीय है, इसका अंदाजा आप BDO संजय बाखला, MO लक्ष्मी नारायण लोहरा और DSO अमित प्रकाश के द्वारा दिए गए बयान से लगा सकते हैं.

क्विंट ने जब BDO से बात की तो वह अनजान होकर पहले कहने लगे कि राशन को लेकर कोई दिक्कत नहीं है. जब ज़ोर देकर पूछा गया तो उन्होंने कहा -हां कुछ दिनों पहले ही डीलर अजय कुमार बर्खास्त हुए हैं. क्विंट ने पूछा कि आखिर नया डीलर कौन बहाल हुआ है और वह राशन कब से बाटेंगे? इस पर BDO संजय ने कहा कि यह मैं नहीं बता सकता, मैंने तो बर्खास्त किया नहीं. क्विंट ने कहा कि बस यह बता दीजिए कि जो भी डीलर हैं वह पोची ग्राम वासियों को कब तक राशन देंगे? इस पर BDO साहब ने कहा कि MO , और DSO से बात कीजिए।

DSO से हमने बात की तो उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते डीलर बर्खास्त हुए हैं, अब नए डीलर राशन बांटेंगे. जब यह पूछा गया कि नए डीलर कब से राशन बांटेंगे तो कहने लगे आधा घंटे बाद बात कीजिए.

जब MO लक्ष्मी नाथ लोहरा से पूछा गया कि पोची गांव में राशन को लेकर क्या मामला है? कहने लगे अरे पूर्व डीलर को बर्खास्त कर नए डीलर को चार्ज दे दिया गया है. अगले महीने से वह राशन देंगे. क्विंट ने पूछा कि मार्च का राशन कब मिलेगा जबकि अंगूठा तो पहले ही ले लिया गया है? उन्होंने कॉल को 15 मिनट होल्ड पर रखने के बाद कहा कि कल (30 मार्च) को राशन वितरण करवाएंगे.

डीलर अजय कुमार बर्खास्त कर दिए गए हैं, लेकिन सरकार की साइट पर अभी भी उनका नाम दिखा जा सकता है(फोटो: aahar.jharkhand.gov.in)

क्विंट की तीसरी पड़ताल

तीसरा मामला रांची जिले के कांके प्रखंड में स्थित सुक्राटु पंचायत का. यहां अनुसूचित जातियों की बड़ी आबादी है, जिनके पास नाम के लिए भी जमीन नहीं है. घरों के नाम पर इनके पास बहुत ही छोटी झोपड़ियां हैं. ये लोग कचरा चुनकर रोटी का इंतजाम करते हैं. क्विंट ने इस क्षेत्र की स्थिति जानने के लिए अपर्णा से बात की जो कांके प्रखंड में समाज सेवी हैं.

कांके प्रखंड में स्थित सुक्राटु पंचायत के लोग(फोटो: मोहम्मद सरताज आलम)

"सरकारी मदद नहीं मिली तो लाशों के ढेर होंगे"

समाज सेवी अपर्णा कहती हैं कि इस क्षेत्र में कुछ मुस्लिम हैं, जो कुछ बेहतर स्थिति में हैं. जबकि आदिवासी समुदाय के लोगों के पास थोड़ी जमीने हैं और वह चावल उगा लेते हैं. जबकि तूरी और दूसरे SC समुदाय, जिनके पास कमाई का कोई जरिया नहीं हैं. वो या तो कचरा बिनते हैं या फिर बांस से सामान बनाकर बेचते हैं.

लॉकडाउन के कारण ये लोग न कचरा चुन सकते हैं, ना बांस का सामान बेच सकते हैं. 250 से ज्यादा परिवारों की हालत बहुत खराब है. यदि एक दो दिन में सरकारी मदद नहीं मिली तो समझ लीजिए कि इस क्षेत्र में लाशों के ढेर होंगे.
अपर्णा, समाजसेवी

रांची जिला प्रशासन ने क्या कहा

अपर्णा की इस बात पर क्विंट ने पहले कांके के BDO से बात की. उन्होंने क्विंट का नाम सुनते ही कॉल काट दी. इसके बाद तीन बार पूरी रिंग गई, लेकिन फोन नहीं उठाया गया. फिर DSO को कॉल लगाया, उन्होंने भी फोन नहीं उठाया. आखिरकार डीसी ऑफिस में बात हुई. उन्होंने कहा, "कौन कितने लोग हैं, उनका नंबर दीजिए, मैं इंतजाम करवाता हूं."

उनसे पूछा कि 250 परिवारों को राशन क्यों नहीं पहुंचा? इसपर उन्होंने कहा, पहले खाने का इंतजाम किया जाए फिर जांच होगी.

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 29 Mar 2020,10:27 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT