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सिराज मुहम्मद कुरैशी पश्चिमी यूपी के हापुड़ के रहने वाले हैं. योगी सरकार के स्लॉटर हाउस बंद कराने के फैसले के बाद अब उनकी कंपनी रेबेन ऑर्गेनिक प्राइवेट लिमिटेड सील कर दी गई है. सिराज के मुताबिक, उनकी कंपनी से करीब 500 से 600 लोग जुड़े थे. लेकिन कंपनी सील होने के बाद उनके कामगारों के पास फिलहाल कोई काम नहीं है.
सिराज कहते हैं-
सिराज की यह चिंता जायज है. यूपी में योगी सरकार के अवैध बूचड़खानों के बंद कराने के फैसले के बाद इस कारोबार से जुड़े ज्यादातर लोगों के रोजगार पर तलवार अटक गई है.
यूपी में योगी की राह पर चलते हुए झारखंड और राजस्थान सरकार ने भी अवैध बूचड़खानों को बंद करने का आदेश जारी कर दिया है. जल्दबाजी इतनी की कई सालों से चले आ रहे इन बूचड़खानों को राज्य महज 72 घंटों में बंद करा देना चाहते हैं.
बीजेपी शासित राज्यों उत्तराखंड, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में भी कारोबारियों पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है. टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मंगलवार को हरिद्वार की तीन, रायपुर की 11 और इंदौर में 1 मीट की दुकान को बंद कर दिया गया है.
कहा जा सकता है कि उत्तर प्रदेश से यह जो सिलसिला शुरू हुआ है, उसके प्रभाव में कई दूसरे राज्य भी आ चुके हैं.
बूचड़खानों का आर्थिक समीकरण
बूचड़खानों पर लगे इस प्रतिबंध का बड़ा आर्थिक खामियाजा भुगतना पड़ सकता है.
इन दिनों में देश सबसे बड़ा मीट (भैंस का मांस) निर्यातक बन चुका है. मीट निर्यात में आई तेजी यह बताती है कि काफी लोग इस कारोबार से जुड़े हैं. ऐसे में बूचड़खानों पर पाबंदी से इस कारोबार से जुड़े लोगों की रोजी रोटी पर सवाल खड़ा हो सकता है.
बेरोजगारी बढ़ेगी !
हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक सिर्फ यूपी में इस कारोबार से करीब 25 लाख लोग परोक्ष या अपरोक्ष रुप से जुड़े हैं. जिसमें कुछ खास तबके के लोग भी शामिल हैं जो इसी कारोबार के लिए ही जाने जाते हैं. हाल के सालों में कारोबार में इजाफा होने के कारण इनकी आर्थिक स्थिति के साथ सामजिक हालात भी सुधरे थे. अब कारोबार पर पाबंदी की तलवार लटकने से वो पुराने हालात में लौटने को मजबूर हो जाएंगे.
राजस्व को होगा नुकसान
एक अनुमान के मुताबिक, यूपी से अगर भैंस मीट के निर्यात पर पूरी तरह रोक लगा दी गई तो राज्य को हर साल 11,350 करोड़ रुपये का नुकसान होगा. इस हिसाब से 5 सालों में ये आकंड़ा 56 हजार करोड़ से ज्यादा का होगा.
सामाजिक समीकरण भी बिगड़ेंगे !
हालात उनके लिए ज्यादा खराब है जो मीट कारोबार की कुछ खास तकनीकियों को ही जानते हैं. अपने काम में स्किल्ड इन लोगों को अब एक अनस्किल्ड लेबर की तरह काम करना पड़ सकता है.
मीट कारोबार से जुड़े लोगों ने इन दिनों में जो भी सामाजिक या आर्थिक सम्मान कारोबार के जरिए हासिल किया था. अब वह खतरे में है. आर्थिक नुकसान की गणना तो हो सकती है लेकिन जो सामाजिक नुकसान होगा उसका हिसाब लगा पाना बेहद मुश्किल है.
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