Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019झारखंड: लड़कियों की नहीं कर सकते हिफाजत, DGP दे रहे नसीहत

झारखंड: लड़कियों की नहीं कर सकते हिफाजत, DGP दे रहे नसीहत

झारखंड के डीजीपी बोले महिला सुनसान रास्ते पर जाती है तो पुलिस नहीं जिम्मेदार

मोहम्मद सरताज आलम
भारत
Updated:
झारखंड के डीजीपी बोले महिला सुनसान रास्ते पर जाती है तो पुलिस नहीं जिम्मेदार
i
झारखंड के डीजीपी बोले महिला सुनसान रास्ते पर जाती है तो पुलिस नहीं जिम्मेदार
(फोटो: Lijumol Joseph/The Quint)

advertisement

पिछले कुछ हफ्तों से भारत में दुष्कर्म की कई घटनाएं सामने आ रही हैं. जिनसे महिला सुरक्षा को लेकर किए गए तमाम दावे एक बार फिर खोखले नजर आ रहे हैं. महिलाओं के साथ हैवानियत रुकने का नाम नहीं ले रही है. इसी बीच अब झारखण्ड में दो नाबालिग लड़कियों के साथ पहले बलात्कार किया गया और उसके बाद हत्या कर दी गई. इस मामले ने जहां विपक्ष को मुद्दा दे दिया, वहीं सरकार को सफाई देने के लिए मजबूर होना पड़ा. इस मामले पर राज्य के डीजीपी और सत्ताधारी जेएमएम के विधायक ने विवादित बयान दे डाला.

सत्ता पक्ष के विधायक और डीजीपी के विवादित बयान

मामले को लेकर 20 सितंबर को राज्य के पुलिस मुखिया DGP एमवी राव को बाकायदा प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सफाई देनी पड़ी, वहीं इससे पहले बीते सोमवार को सत्ता दल JMM के विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने भी इस पर सरकार की तरफ से सफाई देने की कोशिश में आपत्तिजनक बयान दे डाला.

पहले आपको हेमंत सोरेन के विधायक की बदजुबानी सुनाते हैं कि कैसे वो लड़कियों के प्रति अपनी सोच को दिखा रहे हैं. बोरिया विधान सभा से JMM विधायक लोबिन हेम्ब्रम ने कहा कि,

“अब मोबाइल का युग है. लड़का-लड़की फोन पर बात करते हैं. अब शाम को अगर लड़की निकल जाती है, तो अभिभावक दोषी नहीं है क्या. लोग बोले कि रेप हो गया. किडनैप कर लिया. अपने समाज को सुधारने के लिए सभी का दायित्वा बनता है, तभी ये रुकेगा. नहीं तो आप भी सरकार में रहेंगे. आपका पुलिस तंत्र भी इसको कंट्रोल नहीं कर सकता है.”

झारखंड DGP का अजीबो गरीब बयान

अब नेताओं की जुबान से तो आपने कई बार रेप और दुष्कर्म जैसी गंभीर घटनाओं को लेकर ऐसे बेहूदा बयान सुने होंगे, लेकिन इस बार प्रदेश की पुलिस के मुखिया ने भी नेताओं के सुर में सुर मिला दिए. झारखंड के डीजीपी एमवी राव ने राज्य में हो रहीं दुष्कर्म की घटनाओं पर कहा,

“राज्य में लड़कियों-महिलाओं के साथ दुष्कर्म की घटनाओं पर अंकुश लग सके, इसके लिए ये जरूरी है कि अभिभावक और घरवाले सतर्कता बरतें और ये देखें कि वो रात के अंधेरे में अकेले सुनसान या एकांत वाली जगहों पर न जाएं. रात में अगर कोई लड़की या महिला अकेले किसी सुनसान स्थान पर जाती है तो उनके साथ होने वाली किसी अनहोनी घटना की जिम्मेदारी पुलिस की नहीं हो सकती. ऐसे मामलों में सबसे पहले अभिभावकों और घरवालों को जिम्मेदारी लेनी होगी. डीजीपी मंगलवार को पुलिस मुख्यालय में मीडिया से बात कर रहे थे.”
ADVERTISEMENT
ADVERTISEMENT

यानी एक आईपीएस अधिकारी और डीजीपी रैंक के अधिकारी राज्य के लोगों को ये बताने की कोशिश कर रहे हैं कि वो अपराधियों पर काबू नहीं पा सकते हैं और लोगों को खुद ही घरों में रहना होगा. जबकि उनकी यही जिम्मेदारी है कि वो महिलाओं को सेफ फील करवाएं और वो कभी भी अपने घरों से बिना किसी खौफ के निकल सकें.

झारखंड में कम नहीं हुए दुष्कर्म के मामले

क्योंकि दुमका में उपचुनाव है इसीलिए विपक्ष अब हमलावर है, वहीं सत्ता पक्ष फिलहाल डिफेंसिव मोड में आगे बढ़ रहा है. क्विंट ने सत्ता पक्ष और पुलिस के दुष्कर्म को लेकर इस रवैये को देखते हुए झारखंड में वर्तमान JMM सरकार के दौरान दुष्कर्म के डेटा को देखा. ये डेटा जनवरी 2020 से जुलाई 2020 तक का हमें मिला. झारखंड पुलिस के पास उपलब्ध कुल 7 महीने के डेटा के मुताबिक कुल 1033 मामले सामने दर्ज हुए.

  1. जनवरी - 151
  2. फरवरी- 142
  3. मार्च- 150
  4. अप्रैल- 104
  5. मई- 169
  6. जून- 176
  7. जुलाई- 141

क्विंट ने JMM सरकार के इन 7 महीनों की तुलना करना के लिए बीजेपी सरकार के दौरान जून 2019 से दिसंबर 2019 तक दुष्कर्म के मामलों को देखा तो पाया कि NDA की रघुवर सरकार के समय इन आखिरी 7 महीनों में झारखंड सरकार के मुताबिक कुल 1031 दुष्कर्म के मामले दर्ज हुए. जिनमें 2019 जून में 196, जुलाई में 151, अगस्त में 173, सितम्बर में 134, अक्टूबर में 147, नवम्बर में 89 और दिसंबर में कुल 141 मामले दर्ज हुए.

इन 14 महीनों की तुलना के बाद हेमंत और रघुवर सरकार में दुष्कर्म के मामले लगभग बराबर पाए गए. जो साफ संकेत देते हैं कि फिलहाल दुष्कर्म के मामलों में झारखंड की स्थिति पहले की ही तरह है.

NCRB की रिपोर्ट क्या कहती है?

एनसीआरबी की रिपोर्ट पर नजर डालें तो दुष्कर्म के मामले में झारखंड देश में आठवें स्थान पर है. अगर NCRB की 2019 की रिपोर्ट पर गौर किया जाए तो झारखंड में अटेंप्ट टू रेप यानी IPC 376/511 के तहत 18 साल से ऊपर की महिलाओं के साथ 425 मामले दर्ज हुए, जबकि 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ 50 मामले दर्ज हुए. वहीं 2018 की NCRB रिपोर्ट को देखें तो IPC 376/511 में कुल 429 मामले 18 साल से अधिक उम्र की महिलाओं के साथ हुई घटना में दर्ज हुए.

NCRB की रिपोर्ट के अनुसार रेप यानी IPC 376 के तहत कुल मामले 2018 में 1090 तो 2019 में 1416 थे जिनमें 18 साल से कम की आयु के 69 और 4 मामले मौजूद थे. खास बात ये है कि मर्डर या गैंगरेप के मामले 2018 में 16 और 2019 में सिर्फ 4 मामले दर्ज हुए.

झारखंड में नाबालिगों के साथ दिरिंदगी

दुमका: 16 अक्टूबर को 12 साल की आदिवासी छात्रा के साथ सामूहिक दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गई थी. मामला दुमका जिले के रामगढ़ थानांतर्गत पांचवी कक्षा में पढ़ने वाली 12 वर्षीय आदिवासी छात्रा का है. बताया जाता है कि वो सुबह 7 बजे ट्यूशन पढ़ने के लिये साईकिल से निकली थी. घर वापस नहीं लौटने पर परिजनों ने उसकी खोजबीन शुरू की तो ठाड़ी गांव के पास जंगल की झाड़ी में उसकी लाश बरामद हुई. जहां सड़क किनारे उसकी साइकिल भी मिली.

साहेबगंज: लखीपुर तियू टोला की रहने वाली नाबालिग लड़की सहेली के साथ मेला देखने गई थी. इसी दौरान लड़की को उसके पूर्व प्रेमी ने किसी और लड़के के साथ देख लिया. इसके बाद पूर्व प्रेमी ने अपने चार साथियों के साथ लड़की और उसके साथ मौजूद लड़के को पकड़ लिया. सहेली भागने में कामयाब रही. रांगा थाना इलाके के इस मामले में नाबालिग लड़की की गैंगरेप के बाद हत्या कर दी गई. पांच लड़कों ने पहले तो लड़की के साथ रेप किया, इसके बाद उसकी हत्या कर शव उसके ही मकान के छज्जे पर रखकर भाग निकले. परिजन थाने पहुंचे तो पुलिस ने उनसे गांव के मुखिया से मुलाकात कर पंचायत में मामला सुलझाने के लिए कहा. पंचायत में दबाव डालकर परिजनों से लड़की का अंतिम संस्कार करा दिया गया. परिजनों का आरोप है कि पुलिस ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया. पंचायत में भी उन्हें न्याय नहीं मिला.

बीजेपी हुई हमलावर

इस मामले के बाद मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार के बाद छात्रा की हत्या पर हेमंत सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया है कि इस घटना से साबित होता है कि वास्तव में झारखंड में कानून और व्यवस्था की स्थिति कैसी है. पूर्व विधायक कुणाल सारंगी ने कहा कि "जब विधान सभा के चुनाव हुए थे तब महागठबंधन के दलों के द्वारा महिला सुरक्षा पर विशेष फोकस किया गया था. कहा गया था प्रत्येक तीन लाख की आबादी पर महिला थाना बनेगा, जिनके साथ उत्पीड़न हुआ है उनके मामलों के जल्द निपटारे के लिए फास्ट ट्रक कोर्ट बनेगा. लेकिन सभी वादे, वादे रह गए हैं."

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: 21 Oct 2020,07:37 PM IST

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT