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गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने दिल्ली पुलिस की रोक के बावजूद पार्लियामेंट स्ट्रीट पर रैली की. जिग्नेश ने कहा कि सरकार उनकी आवाज दबाने की कोशिश कर रही है. उन्होंने पूछा कि मोदी सरकार बताए कि विकास और रोजगार के वादे का क्या हुआ?
जिग्नेश मेवाणी के साथ अखिल गोगोई, शहला राशिद, प्रशांत भूषण और कन्हैया कुमार भी युवा हुंकार रैली के लिए संसद मार्ग पहुंचे.
देखिए क्विंट के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में क्या बोले जिग्नेश मेवाणी-
जिग्नेश मेवाणी को सपोर्ट करने के लिए सीनियर वकील प्रशांत भूषण और जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार भी संसद मार्ग पहुंचे.
मेवाणी की 'हुंकार' रैली में जेएनयू छात्र उमर खालिद भी पहुंचे. खालिद ने बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला. मोदी सरकार के खिलाफ हो रहे सभी आंदोलन को लाल सलाम करते हुए खालिद बोले, "मोदी साहब भाषण में खुद को फकीर बताते हैं. अब देश का युवा उन्हें ललकार रहा है. हम आपको झोला उठाकर कटने नहीं देंगे. आपको जवाब देना होगा."
जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार ने भी अपने भाषण की शुरुआत में युवाओं को लाल सलाम किया. कन्हैया ने कहा, "हम सच में किसी से नफरत नहीं करते हैं. हम हिंसा नहीं चाहते. हम एक शांतिपूर्ण समाज चाहते हैं. इस देश में जिसे इंशा अल्लाह कहना है, कहें. जिसे जय श्रीराम कहना है, कहें. जिसे गुरुद्वारा जाना है, जाए. जिसे चर्च जाना है, जाए. जिसे जिसकी आराधना, इबादत, पूजा, उपासना करनी है, बिल्कुल करे. यहां हम किसी धर्म के लिए नहीं, संविधान के लिए खड़े हैं."
सीनियर वकील प्रशांत भूषण ने भी युवा हुंकार रैली को संबोधित किया. भूषण ने कहा, "हमें सवाल पूछना चाहिए, ताकि सच्चाई सामने आ सके, अच्छा निष्कर्ष निकल सकें. लेकिन यहां तो सोचने की क्षमता पर ही हमला हो रहा है."
पार्लियामेंट स्ट्रीट की तरफ बढ़े मेवाणी
दलित नेता मेवाणी की रैली को देखते हुए पार्लियामेंट स्ट्रीट पर भारी सुरक्षाबलों की तैनाती की गई है.
दिल्ली पुलिस ने सोमवार को कहा कि संसद मार्ग पर रैली के लिए मेवाणी के अनुरोध को अब तक मंजूर नहीं किया गया है. हालांकि पुलिस ने पहले कहा था कि मेवाणी के आग्रह पर विचार किया जा रहा है.
नई दिल्ली के पुलिस के डिप्टी कमिश्नर ने सोमवार रात ट्वीट किया, “संसद मार्ग पर प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन को एनजीटी के आदेश के मद्देनजर अब तक मंजूरी नहीं दी गयी है. आयोजकों को वैकल्पिक जगह पर जाने की सलाह दी गयी है जो वे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं.” आयोजकों ने इस बात की पुष्टि की कि वे अपनी योजना पर आगे बढेंगे.
इससे पहले, रैली की एक ऑर्गेनाइजर शेहला रशिद ने क्विंट के साथ बातचीत में कहा:
सीनियर वकील वकील प्रशांत भूषण ने भी डीसीपी की दलील का विरोध किया. उन्होंने कहा कि एनजीटी का आदेश जंतर मंतर के लिए है, न कि पार्लियामेंट स्ट्रीट के लिए. भूषण ने कहा कि अगर पुलिस रैली को रोकती है तो यह अलोकतांत्रिक और मौलिक अधिकारों का हनन होगा.
दलित नेता मेवाणी के समर्थकों की तरफ से सामाजिक न्याय रैली या युवा हुंकार रैली की योजना तैयार की गयी थी. इसे मेवाणी और असम के किसान नेता अखिल गोगोई को संबोधित करना है. ये रैली सरकार की नीतियों के खिलाफ है.
एनजीटी ने पिछले साल पांच अक्तूबर को अधिकारियों को जंतर मंतर रोड पर धरना, प्रदर्शन, लोगों के जमा होने, भाषण देने और लाउडस्पीकरों के इस्तेमाल संबंधी गतिविधियां तुरंत प्रभाव से रोकने का आदेश दिया था.
आयोजकों में से एक और जेएनयू के छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष मोहित कुमार पांडेय ने कहा, "इस कार्यक्रम को रोकने के लिए काफी कोशिश की जा रही है. यहां तक कि कुछ मीडिया घराने गलत सूचना भी फैला रहे हैं कि रैली के लिए इजाजत नहीं दी गई है."
पांडेय ने बताया कि 2 जनवरी को रैली की घोषणा किए जाने के बाद से, मेवाणी को एक देशद्रोही और शहरी नक्सली बताने वाले पोस्टरों पर बहुत सारा पैसा खर्च किया गया है. उन्होंने कहा कि रैली पूर्व निर्धारित समय पर ही होगी. मेवाणी से उनकी प्रतिक्रिया के लिए संपर्क नहीं किया जा सका. एक बयान में आयोजकों ने मंगलवार 12 बजे संसद मार्ग पर एकत्रित होने की अपील की है.
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