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JNU छात्रों का सोमवार को दिल्ली की सड़कों पर मार्च के बाद दिल्ली पुलिस ने दो मामले दर्ज किए हैं. दोनों एफआईआर अलग-अलग थानों में अज्ञात लोगों के खिलाफ दर्ज करवाई गई हैं.
दिल्ली पुलिस मुख्यालय प्रवक्ता एसीपी अनिल मित्तल ने मंगलवार को बताया, "एक एफआईआर किशनगढ़ थाने में, जबकि दूसरी लोधी कालोनी थाने में दर्ज की गई है."
दोनों ही एफआईआर में तकरीबन समान धाराओं का ही इस्तेमाल हुआ है. दर्ज एफआईआर में धारा-144 के उल्लंघन का भी जिक्र है. इसके अलावा दोनों थानों में दर्ज मामलों में अज्ञात लोगों के खिलाफ सरकारी कामकाज में बाधा पहुंचाने, पुलिस पर हमला करने, सरकारी ड्यूटी के दौरान पुलिसकर्मियों को चोट पहुंचाने की धाराएं भी लगाई गई हैं.
छात्रों के मार्च को रोकने के लिए दिल्ली पुलिस ने पूरी ताकत झोंक दी थी. छात्रों के संसद तक पहुंचने के तमाम रास्ते बंद कर दिए गए. चार-पांच मेट्रो स्टेशन भी बंद कर दिए गए. कथित अभेद्य सुरक्षा इंतजामों के बावजूद छात्रों की भीड़ संसद के काफी करीब (सफदरगंज का किला) तक पहुंचने में कामयाब रही. यहां पर छात्रों की भीड़ को रोकने में पुलिस को पसीना आ गया.
दिल्ली के तमाम अन्य जिलों, रेंजों के विशेष पुलिस आयुक्त, संयुक्त पुलिस आयुक्त, तमाम अन्य जिलों के जिला पुलिस उपायुक्त तक दल-बल संग छात्रों को रोकने के लिए पहुंच गए. इनमें छात्रों के बीच सबसे विशेष उपस्थिति दिल्ली पुलिस कमिश्नर के करीबी-विश्वासपात्र समझे जाने वाले स्पेशल कमिश्नर (इंटेलीजेंस) प्रवीर रंजन की मानी जा रही थी. हालांकि इस मौके पर उनकी कोई जरूरत नहीं थी.
मार्च के दौरान एक तिहाई दिल्ली को 'जाम' लग गया. छात्रों ने पुलिस पर लाठीचार्ज का आरोप लगाया, तो दूसरी ओर दिल्ली पुलिस मुख्यालय के प्रवक्ता अनिल मित्तल ने कहा, "लाठीचार्ज के आरोपों की जांच की जा रही है. फिलहाल इस बारे में कुछ कह पाना जल्दबाजी होगी."
उन्होंने कहा कि सोमवार की घटना में 30 पुलिसकर्मी जख्मी हुए हैं, जबकि 15 छात्रों को भी चोट लगने की खबरें आ रही हैं.
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