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देश की बड़ी और प्रतिष्ठित जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) अपनी प्रॉपर्टी को बेचने या किराए पर देने की तैयारी में है. जेएनयू को सरकार फंड करती है. यूनिवर्सिटी की यह नई योजना फंड की कमी को उजागर करती है. क्या जेएनयू में वाकई फंड की कमी है? सरकारी यूनिवर्सिटी को अपनी ही प्रॉपर्टी किराए पर क्यों देनी पड़ रही है?
18 अगस्त को JNU ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा कि यूनिवर्सिटी की कई जरूरतें हैं जिसके लिए JNU को फीस बढ़ाए बिना अपना फंड बनाने की जरूरत है.
JNU की कुलपति (वाइस चांसलर) शांतिश्री डी पंडित ने न्यू इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा कि यूनिवर्सिटी वित्तीय दबाव से गुजर रही है, क्योंकि केंद्र सरकार ने हर चीज पर सब्सिडी दी है.
उन्होंने आगे कहा कि, "हम अपनी प्रॉपर्टी का ठीक से इस्तेमाल करना चाहते हैं. हमारे पास 35 फिरोज शाह रोड और FICCI बिल्डिंग के पीछे गोमती गेस्ट हाउस है... मैं रखरखाव पर हर महीने 50,000 रुपये खर्च कर रही हूं और बदले में कुछ भी नहीं मिल रहा… गोमती गेस्ट हाउस से हर महीने 50 हजार रुपये से लेकर 1 लाख तक निकल सकता है. फिरोज शाह रोड की प्रॉपर्टी पर मैं ICC जैसी एक इमारत बनाना चाहती हूं."
बता दें कि गोमती गेस्ट हाउस JNU के पास उपल्बध कुछ गेस्ट हाउस में से एक है जहां पर अतिथियों या विदेश से आए अतिथियों को ठहराने की व्यवस्था की जाती है. दूसरा, फिरोज शाह रोड पर एक बहुमंजिला इमारत बनाने की बात वीसी ने की है जिसे निजी कॉन्फ्रेंस के लिए रेंट पर दिया जा सकता है.
पुणे के एक RTI कार्यकर्ता प्रफुल्ल सारदा को सूचना के अधिकार (RTI) के जरिए जो जानकारी हासिल हुई उसके मुताबिक, 2004-05 और 2014-15 के बीच (10 साल) जेएनयू को 2,055 करोड़ की सब्सिडी मिली. वहीं 2015-16 और 2022-23 के बीच (8 साल) यह सब्सिडी बढ़कर 3,030 करोड़ रुपए हो गई. इससे पता चलता है कि मोदी के कार्यकाल में JNU को लगभग 1.5 गुना ज्यादा फंडिंग मिली है.
इसी के साथ RTI में यह भी पता चला कि छात्रों पर दर्ज FIR की संख्या भी तेजी बढ़ी है. 2016 से पहले छात्रों पर कोई FIR दर्ज नहीं की गई थी. लेकिन इसके बाद से JNU प्रशासन ने अपने ही छात्रों के खिलाफ 35 FIR दर्ज करवाई हैं.
बजट में इस कटौती का असर उच्च शिक्षा पर पड़ेगा, जिसमें रिसर्च प्रोजेक्ट, स्कॉलरशिप और यूजीसी के अधिकार क्षेत्र में आने वाले बुनियादी ढांचे का विकास शामिल है.
JNU में पिछले 12 दिनों से भूख हड़ताल जारी है, छात्रों की कई मांगे हैं लेकिन उनमें से एक यूनिवर्सिटी में प्रॉपर्टी को बेचने या किराए पर देने को लेकर भी है.
JNU छात्रसंघ अध्यक्ष धनंजय ने क्विंट हिंदी से बातचीत में कहा कि, "अगर कोई सरकार द्वारा चलाई जा रही यूनिवर्सिटी प्रॉपर्टी बेचने या किराए पर देने की बात करती है तो ये अपने आप में चेतावनी है. JNU पब्लिक फंडेड यूनिवर्सिटी है, इसका क्या मतलब है कि सरकार हमें फंड देती है. अगर यूनिवर्सिटी को पैसों की कमी है तो सरकार फंड बढ़ाए."
क्विंट हिंदी ने पीएचडी की छात्रा खुशबू शर्मा से भी बात की उन्होंने बताया कि इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में यूनिवर्सिटी की हालत बिगड़ती जा रही है लेकिन फिर भी JNU के पास गैर जरूरी कामों को करवाने का पैसा है.
खुशबू ने कहा कि, "प्रॉपर्टी को किराए पर देने को तो दे सकते हैं लेकिन क्या ये सही है? जेएनयू को सरकार फंड करती है, सरकार को पैसा देना चाहिए, प्रॉपर्टी बेचने या किराए पर देने की नौबत नहीं आनी चाहिए. ये मामला इकनॉमिक कम और पॉलिटकल ज्यादा लगता है. आप कह रहे हैं IIT भी ऐसा करता है लेकिन IIT और JNU में बहुत फर्क है. IIT एक इंस्टिट्यूट है जो केवल स्पेशल कोर्स करवाता है और जेएनयू यूनिवर्सिटी है जिस तक सभी की पहुंच है, यहां कई सारे विषय हैं और IIT, JNU की फंडिंग और फीस में भी बहुत अंतर है."
खुशबू ने भी यूनिवर्सिटी की अच्छी रैंक की बात कही और कहा कि यूनिवर्सिटी को इंस्टिट्यूट ऑफ एमिनेंस का दर्जा मिलना चाहिए.
बता दें कि कई सालों से शिक्षा मंत्रालय की रैंकिंग में JNU टॉप 3 में रहती ही है. इस साल भी नेशनल इंस्टीट्यूट रैंकिंग फ़्रेमवर्क (NIRF) के अनुसार JNU दूसरे नंबर पर है.
छात्रसंघ अध्यक्ष धनंजय के साथ तीन और छात्र पिछले 12 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं, उनकी ये प्रमुख मांगे हैं:
निम्न आय वर्ग से आने वाले छात्रों को जो 2000 रुपये भत्ता (NCM) मिलता है, उसे 12 साल से बढ़ाया ही नहीं गया है. छात्रों की मांग है कि उसे आज की महंगाई के अनुकूल 5000 रुपये किया जाए.
कैंपस में एक हॉस्टल बन कर तैयार है. फरवरी महीने में गृह मंत्री अमित शाह ने इसका
उद्घाटन भी किया था लेकिन अभी तक इसे चालू नहीं किया गया है.
यूनिवर्सिटी में लगातार यौन उत्पीड़न के केस आए हैं. हाल के सालों में बढ़े हैं लेकिन आंतरिक शिकायत समिति (ICC) ने कोई कड़े कदम नहीं उठाए. ICC में छात्रों का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए.
परीक्षा कराने वाली NTA सवालों के घेरे में हैं. लगातार पेपर लीक केस आए हैं. JNU में एडमिशन के लिए भी NTA ही परीक्षा करवाता है. छात्रों की मांग है कि NTA की जगह जैसे पहले JNU एंट्रेंस एग्जाम (JNU-EE) परीक्षा लेता था वैसे ही लिया जाए.
दिसंबर 2023 में यूनिवर्सिटी प्रशासन ने विरोध प्रदर्शन के खिलाफ नए नियम लागू किए जिसके तहत प्रदर्शन करने वाले छात्रों को 20,000 रुपयों तक का जुर्माना भरना पड़ सकता है. संघ की मांग है कि विरोध के अधिकार को बचाने के लिए इन दिशानिर्देशों को रद्द किया जाए.
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