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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के छात्र नजीब अहमद को गुमशुदा हुए आज 4 साल हो गए हैं. एमएससी बायोटेक्नॉलजी के पहले साल का छात्र नजीब अहमद 15 अक्टूबर 2016 से गायब है. नजीब के गायब होने की जांच दिल्ली पुलिस, दिल्ली पुलिस क्राइम ब्रांच, और सीबीआई ने की. पुलिस ने तो 560 से भी ज्यादा पुलिसकर्मियों को लगाकर, JNU को 11 जोन में बांटकर कैंपस को छान मारा. लेकिन उन सबके बावज़ूद पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा. सीबीआई ने नजीब की जानकारी देने वाले को 10 लाख रुपये का इनाम देने की भी घोषणा की थी. इसके अलावा सीबीआई की टीम ने महाराष्ट्र ,दिल्ली, हिमाचल प्रदेश समेत अन्य कई जगह पर छानबीन की लेकिन नजीब का पता नहीं चल सका.
जांच के दौरान जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय अध्यापक संघ ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को इस मुद्दे के प्रति बेरुख़ी और पक्षपाती प्रबंधन के लिए ज़िम्मेदार ठहराया. जेएनयू अध्यापक संघ ने यूनिवर्सिटी द्वारा जारी की गई 25-प्वाइंट बुलेटिन की आलोचना यह कहकर की कि उन्होंने (यूनिवर्सिटी प्रशासन ने) जानबूझकर यह तथ्य छोड़ दिया है कि एक रात पहले हुए झगड़े के दौरान नजीब पर हमला किया गया था.
कुछ दिनों पहले एक वीडियो जारी करते हुए नजीब की मां ने कहा,"दिल्ली पुलिस के ख़िलाफ़ मैं अपना विरोध ऑनलाइन माध्यम से जारी रखूंगी. दिल्ली पुलिस को अपनी शक्तियों का गलत इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, उन्हें शर्म आनी चाहिए". इस मामले में अब तक किसी को गिरफ्तार नहीं किया गया है, और जो लोग नजीब के समर्थन में बोल रहे हैं, उन्हें जेल भेजा जा रहा है".
इस दौरान नजीब अहमद की मां फातिमा नफीस ने जेएनयू के प्रशासन पर यह आरोप लगाया, कि वे असंवेदनशील हैं.
उत्तर प्रदेश के बदायूं का रहने वाला 27 वर्षीय नजीब जेएनयू में स्कूल ऑफ बायोटेक्नोलॉजी का छात्र था और वह विश्वविद्यालय परिसर में विक्रांत सहित एबीवीपी के कार्यकर्ताओं के साथ हुई कथित हाथापाई के एक दिन बाद यानी 15 अक्टूबर से लापता है. जेएनयू ने घटना के संबंध में प्रॉक्टर की निगरानी में जांच के आदेश दिए थे.
नजीब के मामले में सीबीआई की जांच पर शुरू से ही शंकाओं और अविश्वास का कोहरा छाया रहा और 15 अक्टूबर 2018 को, फातिमा नफीस की जांच को जारी रखने की ढेरों अपीलों के बावजूद, सीबीआई ने मामले की क्लोजर रिपोर्ट पटियाला हाउस कोर्ट में दाखिल कर दी. फातिमा सीबीआई और दिल्ली पुलिस पर आरोप लगाती रही हैं कि वे दोषियों को बचा रहे हैं और जांच में लापरवाही बरती गई है.
हालांकि, सीबीआई के रिपोर्ट दाखिल करने के फैसले का नजीब अहमद की मां ने हाईकोर्ट में भी विरोध किया. इसके बाद हाईकोर्ट ने नजीब की मां को पटियाला हाउस कोर्ट में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया.
इन सबके बीच समय-समय पर नजीब के ISIS जॉइन करने का हल्ला सोशल मीडिया पर जमकर उड़ता रहा. जबकि पुलिस कह चुकी है कि उनकी जांच में नजीब का ISIS से संबंध का पता नहीं चला है.
मार्च 2018 में, फातिमा ने कुछ मीडिया संस्थानों के ऊपर नजीब का नाम ISIS जोड़ने के लिए नामक आतंकवादी संगठन में शामिल होने के झूठे दावे के ख़िलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया.
वर्ष 2019 में जब नरेंद्र मोदी ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट का नाम ‘नरेंद्र मोदी’ से बदलकर ‘चौकीदार नरेंद्र मोदी’ कर लिया, तो नजीब अहमद की मां ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल किया कि अगर आप चौकीदार हैं तो मेरा बेटा कहां है? ट्विटर पर नजीब की मां फातिमा नफ़ीस ने प्रधानमंत्री के ट्वीट पर सवाल किया, ‘अगर आप चौकीदार हैं तो बताइए मेरा बेटा नजीब कहा हैं? एबीवीपी के गुंडे क्यों नहीं गिरफ़्तार किए गए? क्यों तीन बड़ी एजेंसियां मेरे बेटे को खोजने में असफल रहीं?’
सीबीआई ने दिल्ली हाईकोर्ट को बताया था कि अब तक उसकी जांच में ऐसा कोई सबूत नहीं मिला है जो दिखाए कि कोई अपराध हुआ है. न ही उसे ऐसी कोई सामग्री मिली है जिसके आधार पर वह उन नौ छात्रों को गिरफ्तार करे या कोई कार्रवाई करे, जिन पर नजीब के परिवार को शक है कि उन्होंने ही उसे गायब किया है.
नजीब की मां ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट पक्षपाती और अधूरी बताया. इस दौरान उन्होंने प्रोटेस्ट याचिका का रुख़ किया. फातिमा द्वारा दायर की गई इस याचिका में यह कहा गया कि सीबीआई ने जांच ठीक से नहीं की और झूठे आधार पर क्लोजर रिपोर्ट दायर की, जिससे साबित हो सके कि नजीब अपने आप गायब हुआ है.
फातिमा नफीस दिल्ली पुलिस मुख्यालय से लेकर सीबीआई हेड क्वार्टर तक बेटे को खोजने के लिए प्रदर्शन कर चुकी हैं. नजीब की मां ने कहा कि उनका देश की सर्वोच्च जांच एजेंसियों से भरोसा उठ गया है. उन्होंने कहा कि जांच एजेंसियों ने उन सभी छात्रों को केवल बचाने का काम किया है, जिन्होंने नजीब अहमद के साथ लड़ाई की थी. उन्होंने कहा कि जब तक मेरा बेटा नजीब वापस नहीं आ जाता है मैं थकने वाली नहीं हूं.
अनसुलझे सवाल
सीबीआई को केस इतनी जल्दी बंद क्यों की?
फातिमा के कहने पर भी SIT क्यों नहीं बनी?
फातिमा के आरोप के मुताबिक क्या ABVP को बचाने की कोशिश हो रही है?
आखिर नजीब और ABVP सदस्यों के बीच झगड़ा हुआ क्यों था?
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