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जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) में छात्रों के विरोध प्रदर्शन पर लोगों के अलग-अलग विचार हैं. एक ओर ये मुद्दा संसद के अंदर भी उठाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर हिंदू महासभा ने टिप्पणी कर इसे एक और मोड़ दे दिया है. हिंदू महासभा ने कहा कि 'जय श्री राम', 'भारत माता की जय' और 'वंदे मातरम' कहना जेएनयू में कम फीस का फायदा उठाने के लिए एक शर्त होनी चाहिए.
हिंदू महासभा के प्रमुख स्वामी चक्रपाणि ने यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे ज्यादातर छात्रों को 'भारत विरोधी' करार दिया. उन्होंने कहा कि उनकी इस मांग के पीछे का तर्क यही है कि वहां के छात्र 'राष्ट्र-विरोधी' हैं.
स्वामी चक्रपाणि ने कहा, "माता-पिता अपने बच्चों को खाना खिलाते हैं. लेकिन, इसका मतलब ये नहीं है कि अगर वह गुमराह हो जाएं तो वे उन्हें अनुशासित नहीं कर सकते हैं. जो छात्र भटक गए हैं, उन्हें भी अनुशासित करने की जरूरत है."
यह पूछे जाने पर कि जय श्री राम तो एक धार्मिक नारा है, उन्होंने कहा, "जो भगवान श्रीराम का नाम लेगा, वह दायरे में रहेगा. अगर आप उनका नाम नहीं लेना चाहते, तो आप 'वंदे मातरम' और 'भारत माता की जय' तो कह सकते हैं. ये तो बोल सकते हो. ऐसा करना देशभक्ति है." उन्होंने जेएनयू छात्रों को 'पीजा-बर्गर वाला' करार देकर 'संस्कारों की कमी वाला' कहा.
जेएनयूएसयू के साथ इंटर हॉल एडमिनिस्ट्रेशन (IHA) बैठक की मांग को लेकर जेएनयू के छात्रों ने 18 नवंबर को सड़कों पर उतरकर संसद तक मार्च किया.
उन्होंने मांग रखी है कि जेएनयूएसयू की भागीदारी के साथ तालमेल बनाया जाए और छात्रों के परामर्श से एक नया हॉस्टल मैनुअल तैयार किया जाए और इससे भी अहम बात यह है कि फीस बढ़ोतरी को पूरी तरह से वापस लिया जाए.
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