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जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी में 5 जनवरी को हुई हिंसा को लेकर दिल्ली पुलिस पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक हादसे के दिन 4 घंटे में पुलिस को करीब 23 बार कॉल किया गया, लेकिन पुलिस को पहुंचने में इतना वक्त क्यों लगा.
दोपहर 2.30 बजे पहली बार नकाबपोश लोगो को कैंपस के अंदर देखा गया. जिसके बाद PCR(पुलिस कंट्रोल रूम ) पर कॉल किये गए, मगर कोई जवाब नहीं आया. शाम 7.45 बजे JNU के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार ने जब एक आधिकारिक लेटर लिख कर दिया, जिसमें उन्होंने कैंपस में अतिरिक्त पुलिस बल की मांग की उसके बाद पुलिस कैंपस के अंदर आयी.
दोपहर 2.30 से 3.30 तक- 1 PCR कॉल: यह जेएनयू कैंपस के अंदर एक झगड़े के बारे में थी. फोन करने वाले ने बताया की कुछ लोग जेएनयू के छात्रों से मारपीट कर रहे है, जिनमें से ज्यादातर के चहरे ढके हुए हैं और वे एडमिनिस्ट्रेटिव ब्लॉक के पास हैं.
4.45 बजे-4.15 तक- 8 PCR कॉल: "वे मुख्य रूप से पेरियार हॉस्टल में छात्रों की पिटाई से संबंधित थे." फोन करने वाले ने बताया कि लगभग 40-50 नकाबपोश लोग हॉस्टल में घुस गए हैं, और वो बुरी तरह से छात्रों पर हमला कर रहे हैं और तोड़फोड़ मचा रहे हैं.
4.15 बजे-शाम 6 तक - 14 PCR कॉल: ये कॉल "छात्रों के झगड़ों से जुड़े अलग-अलग घटनाओं " के बारे में थे. सूत्रों ने कहा कि जब पुलिस ने कॉल को वेरीफाई किया, तो उन्हें मारपीट,छात्रों की पिटाई और मीटिंग से संबंधित ऐसी कोई घटना नहीं मिली."
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