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वीडियो एडिटर- विवेक गुप्ता
जेएनयू के साबरमती हॉस्टल में मारपीट कर रही एक नकाबपोश लड़की का चेहरा बेनकाब हुआ तो दिल्ली पुलिस की थ्योरी भी गलत साबित हो रही है. दिल्ली पुलिस ने 10 जनवरी को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि जेएनयू हिंसा में बाहरी लोगों का हाथ होना मुश्किल है. इसके महज तीन दिन बाद अब दिल्ली पुलिस जो कह रही है उससे उसी की थ्योरी गलत साबित हो रही है.
दिल्ली पुलिस ने Jnu में हिंसा करने वाली एक लड़की की पहचान की है जो जेएनयू की नहीं बल्कि दिल्ली यूनिवर्सिटी की स्टूडेंट है. चेहरे पर नकाब पहने हुए ये लड़की Jnu के साबरमती हॉस्टल में डंडा लिए दिखी थी. दिल्ली पुलिस के मुताबिक इस लड़की का नाम कोमल शर्मा है. लेफ्ट संगठनों और कुछ मीडिया चैनलों के मुताबिक नकाबपोश लड़की एबीवीपी से जुड़ी है. इस स्टूडेंट का एक ऑडियो भी सामने आया था, जिसमें वो घटना से खुद का नाम छिपाए जाने की बात कर रही है. हालांकि हम कोमल शर्मा के उस ऑडियो टेप की पुष्टि नहीं कर सकते हैं.
यहां हम दिल्ली पुलिस की थ्योरी पर इसलिए सवाल उठा रहे हैं, क्योंकि घटना के पांच दिन बाद दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने सामने आकर प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. जिसमें क्राइम ब्रांच के डीसीपी और इस जांच की अगुवाई कर रहे जॉय टिर्की ने साफ कहा था,
नकाबपोश लड़की को डीयू की छात्रा बताकर पुलिस ने अब ये मान लिया है कि बाहरी लोगों ने भी जेएनयू में हिंसा की लेकिन सच तो ये है कि दिल्ली पुलिस की इस थ्योरी पर पहले से ही सवाल उठ रहे थे कि किसी बाहरी ने Jnu में हिंसा नहीं की है.
दिल्ली पुलिस का तीन दिन बाद ही थ्योरी बदल जाना और ये मान लेना कि Jnu हिंसा में बाहरी लोगों का भी हाथ था और एक खास छात्र संगठन का नाम न लेना सवाल उठाता है कि क्या दिल्ली पुलिस किसी को बचाने की कोशिश कर रही है.
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