Home Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019News Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019India Created by potrace 1.16, written by Peter Selinger 2001-2019JNU कैंपस में समय से पहुंच जाती पुलिस तो नहीं होती हिंसा?

JNU कैंपस में समय से पहुंच जाती पुलिस तो नहीं होती हिंसा?

जेएनयू में 5 जनवरी की शाम हुई भारी हिंसा और तोड़फोड़

क्विंट हिंदी
भारत
Published:
जेएनयू में 5 जनवरी की शाम हुई भारी हिंसा और तोड़फोड़
i
जेएनयू में 5 जनवरी की शाम हुई भारी हिंसा और तोड़फोड़
(फोटो ग्राफिक्स: क्विंट हिंदी) 

advertisement

जवाहर लाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) कैंपस में पुलिस समय से पहुंच गई होती तो शायद 5 जनवरी की शाम हुई हिंसा की घटना टाली जा सकती थी, ऐसा मौके पर मौजूद लोगों का कहना है. खुद स्पेशल सीपी आरएस कृष्णया का भी मानना है कि यूनिवर्सिटी प्रशासन से लिखित अनुमति पाने के बाद ही पुलिस अंदर जा सकी, तब तक पुलिस को गेट पर इंतजार करना पड़ा.

जेएनयू में हिंसा क्या यूनिवर्सिटी प्रशासन की ढिलाई की वजह से हुई या फिर पुलिस की? कब यूनिवर्सिटी प्रशासन ने पुलिस को फोन किया, कब पुलिस पहुंची और कब लिखित में अनुमति मिली? इन सवालों के जवाब मिलने अभी बाकी हैं

गृह मंत्री अमित शाह ने कमिश्नर को फोन कर रिपोर्ट तलब की है. नकाबपोश गुंडे कौन थे, इसकी भी तफ्तीश जारी है.

न्यूज एजेंसी आईएएनएस ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि छात्रों के रजिस्ट्रेशन के आखिरी दिन 5 जनवरी को सर्वर बंद होने को लेकर दोपहर में डेढ़ बजे से ही लेफ्ट और अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) से जुड़े ग्रुप्स के बीच झड़प शुरू हो गई थी.

एबीवीपी का आरोप है कि लेफ्ट विंग के छात्रों ने सर्वर रूम बंद कर दिया, जिससे रजिस्ट्रेशन नहीं हो पा रहा था. इस बीच लगभग 3.30 बजे एबीवीपी से जुड़े कुछ छात्रों ने पेरियार हॉस्टल में अपने ऊपर हमले की पुलिस को सूचना दी.

उन्होंने कहा कि एबीवीपी के छात्रसंघ चुनाव के प्रत्याशी रहे मनीष की बुरी तरह पिटाई हुई है. कुछ ही देर में वसंत कुंज थाने से पुलिस जेएनयू गेट पर पहुंच गई. इस बीच पुलिस ने कैंपस में घुसने के लिए यूनिवर्सिटी प्रशासन से अनुमति मांगी. शाम चार बजे तक पुलिस की चार से पांच गाड़ियां मेन गेट पर पहुंच गई थीं.

इस मामले पर जेएनयू के स्टूडेंट विजय कुमार ने क्विंट को बताया कि 5 जनवरी की शाम साबरमती हॉस्टल के पास जेएनयू टीचर्स एसोसिएशन का एक पीस टॉक था, जिसमें जेएनयू छात्र संघ और यूनिवर्सिटी के बहुत से छात्र भी पहुंचे थे. जेएनयू के ही एक छात्र गौतम उस वक्त साबरमती हॉस्टल के पास ही मौजूद थे. उन्होंने बताया,

‘’शाम को सात बजे के करीब हम लोग साबरमती हॉस्टल के पास ढाबे पर चाय-पानी पी रहे थे. तभी एकदम से मास्क लगाए लोगों की भीड़ आई. उनके हाथ में सरिया और बाकी कई हथियार थे.’’
गौतम, जेएनयू छात्र

गौतम के मुताबिक, करीब 100 लोगों की भीड़ ने अचानक पत्थरबाजी और मारपीट शुरू कर दी. उन्होंने बताया कि भीड़ बिना किसी वजह के लोगों को पीट रही थी. गौतम का दावा है कि भीड़ लेफ्ट से जुड़े छात्रों को चुन-चुनकर मार रही थी, उसने एबीवीपी और राइट विंग से जुड़े छात्रों को छोड़ दिया.

इस मामले पर जेएनयू का कहना है कि छात्रों का एक ग्रुप जो रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया का विरोध कर रहा था, आक्रामक रूप से एडमिनिस्ट्रेशन ब्लॉक के सामने से चला और शाम 4:30 के करीब हॉस्टलों तक पहुंचा, प्रशासन ने तुरंत पुलिस से संपर्क किया.

इसके आगे यूनिवर्सिटी ने कहा है, ''हालांकि, जब तक पुलिस आई, रजिस्ट्रेशन का विरोध करने वाला छात्रों का ग्रुप रजिस्ट्रेशन चाहने वाले छात्रों को पीट चुका था.''

(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)

Published: undefined

ADVERTISEMENT
SCROLL FOR NEXT