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दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JMU) में रविवार रात को हुई हिंसा को लेकर नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी ने विदेशों में भारत की छवि पर चिंता व्यक्त की है. उन्होंने अनुरोध किया है कि, सरकार को इस घटना की सच्चाई पता करनी चाहिए. बनर्जी ने इस घटना के बाद जर्मनी के नाजी शासन को याद किया है.
न्यूज 18 डॉट कॉम से बात करते हुए अभिजीत बनर्जी ने कहा,
जेएनयू रजिस्ट्रार ने छात्रों पर आरोप लगाते हुए कहा था कि हिंसा हॉस्टल फीस बढ़ोतरी के विरोध में की गई. इस बात पर बनर्जी ने कहा, “सरकार को वास्तविकता पता करनी चाहिए”.
बनर्जी ने कहा कि साल 1983 में जब वह एमए (अर्थशास्त्र) के छात्र थे, तब उन्होंने जेएनयू में पुलिस की कार्रवाई का सामना किया था. उन्होंने कहा कि इसलिए वो वास्तव में उन लोगों के बारे में चिंतित हैं जो घायल हो हुए हैं. बनर्जी बोले कि मैं चाहता हूं कि हर कोई जल्द से जल्द स्वस्थ हो जाए.
बनर्जी ने एक पूर्व इंटरव्यू में बताया था कि तत्कालीन छात्र संघ अध्यक्ष के निष्कासन के विरोध में वह एक हफ्ते से अधिक समय तक तिहाड़ जेल में रहे थे. बनर्जी ने बताया था कि उन्होंने कई प्रदर्शनकारियों के साथ कुलपति के घर का घेराव किया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार कर हत्या का आरोप लगाया गया और उन्हें तिहाड़ जेल में दे दिया गया. हालांकि, बाद में ये आरोप हटा लिये गए.
बता दें, रविवार 5 जनवरी की शाम को जेएनयू में नाकाबपोशों की एक भीड़ ने यूनिवर्सिटी कैंपस में भारी हिंसा की. हमलावर कैंपस में अगल-अलग हॉस्टल में घुसे और जमकर तोड़-फोड़ की और छात्रों के साथ हिंसा की. कई छात्र बुरी तरह से घायल हुए हैं, जिनको हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है.
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