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जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) प्रशासन के साथ हुए नए विवाद में, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय छात्र संघ(जेएनयूएसयू) ने 7 फरवरी की सुबह हुई एकेडमिक परिषद की बैठक को 'अलोकतांत्रिक और अवैध' करार दिया. जेएनयूएसयू ने अपने बयान में व्हाट्सएप और ई-मेल के जरिए परीक्षा आयोजित करने के एकतरफा फैसले पर प्रशासन और कुलपति के फैसले को गलत ठहराया.
बयान के मुताबिक, "हम जगदीश कुमार को याद दिलाना चाहते हैं कि छात्रों के लिए व्हाट्सएप परीक्षाओं को वैध बनाना कतई सही नहीं है. हालांकि यह पहल पूरी तरह से एबीवीपी के पक्ष में है. एबीवीपी कार्यकर्ताओं को बिना योग्यता के जेएनयू में शिक्षक के पदों पर भर्ती किया जा रहा है और इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि एबीवीपी पूरी तरह से व्हाट्सएप परीक्षा की प्रक्रिया का समर्थन कर रहा है."
जेएनयूएसयू ने चेतावनी दी है कि अगर प्रशासन तानाशाही रवैया जारी रखेगा तो उसके खिलाफ कानूनी और राजनीतिक रूप से बड़ा अभियान चलाया जाएगा.
5 जनवरी को JNU में हुई हिंसा मामले की जांच दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने कर रही है. क्राइम ब्रांच हर एंगल से केस को सुलझाने में जुट गई है. पुलिस ने जांच शुरू होने से पहले कहा था कि CCTV कैमरों की मदद से इस केस सुलझाने की कोशिश की जाएगी. लेकिन सर्वर डैमेज होने के चलते पुलिस के हाथ कुछ नहीं लगा था.
न्यूज एजेंसी ANI के मुताबिक, पुलिस का दावा है कि 3 जनवरी को सर्वर पर हमला हुआ था, जिसके बाद उसने काम करना बंद कर दिया. इसीलिए पुलिस को CCTV से कुछ भी नहीं मिला. पुलिस का कहना है कि इस मामले में भी एक FIR दर्ज की गई है.
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