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इंडियन स्पेस रिसर्च आर्गेनाईजेशन (ISRO) ने पहले एक रिपोर्ट प्रकाशित की, जिससे पता चला है उत्तराखंड का जोशीमठ (Joshimath Sinking) इलाका केवल 12 दिनों में 5.4 सेमी तक धंस गया है. लेकिन राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (NDMA) ने सरकारी अधिकारियों और वैज्ञानिक विभागों को एक पत्र जारी कर कहा है कि जब तक कोई निष्कर्ष नहीं निकाला जाता तब तक जोशीमठ में भू-धंसाव के बारे में जानकारी मीडिया के साथ शेयर न करें. जहां NDMA ने अपने इस आदेश के पीछे "रिपोर्ट से लोगों में भ्रम फैलने" को जिम्मेदार ठहराया है वहीं विपक्षी पार्टियों ने इसे एक "संवैधानिक संस्था" का दूसरे संवैधानिक संस्था पर हमला बताया है.
NDMA ने अपने इस पत्र में कहा है कि, "यह देखा गया है कि विभिन्न सरकारी संस्थान सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर विषय वस्तु से संबंधित डेटा जारी कर रहे हैं और वे स्थिति की अपनी व्याख्या के साथ मीडिया के साथ बातचीत भी कर रहे हैं. यह न केवल प्रभावित निवासियों बल्कि देश के नागरिकों के बीच भी भ्रम पैदा कर रहा है."
उत्तराखंड की धामी सरकार में कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत के आग्रह पर ISRO ने जोशीमठ भू-धंसाव की सेटेलाइट फोटो हटा दी है. कैबिनेट मंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा है कि उन्होंने इसरो के निदेशक से फोटो हटाने का आग्रह किया था. डॉ धन सिंह का कहना है कि इन फोटोज से राज्य में भय का माहौल पैदा हो रहा है.
इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्विटर पर टिप्पणी की : "वह संवैधानिक संस्था से एक-दूसरे पर हमला करवाते हैं. अब, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण इसरो को चुप रहने के लिए कहता है. लेकिन सैटेलाइट तस्वीर कैसे झूठ बोल सकती है? यह नया भारत है, जहां केवल एक आदमी सब कुछ जानता है, और यह तय करता है कि किसी भी चीज पर कौन बोलेगा."
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने ट्वीट करते हुए कहा है की "जोशीमठ के बाद,अब कर्णप्रयाग व टेहरी गढ़वाल से भी मकानों में दरारों की खबर आ रही है. विपदा का समाधान व जनता की समस्याओं के निदान के बजाय, सरकारी एजेंसियो - ISRO की रिपोर्ट पर पाबंदी और मीडिया से बातचीत पर रोक! मोदी जी, “Do Not Shoot the Messenger”
कार्टोसैट -2 एस सेटेलाइट से ली गई और ISRO के नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर द्वारा जारी की गई तस्वीर से पता चला है कि जोशीमठ 27 दिसंबर और 8 जनवरी के बीच 5.4 सेमी डूब गया. प्रत्यक्षदर्शियों के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि "2 जनवरी, 2023 को शुरू हुई एक तेज धंसाव की घटना" के कारण बड़े पैमाने पर भू-धंसाव हो रहा है.
इसरो की रिपोर्ट के अनुसार, अप्रैल और नवंबर 2022 के बीच भूमि का धंसना धीमा था, इस दौरान जोशीमठ 8.9 सेमी तक नीचे गया. हालांकि साल के आखिर में इसके तेजी आ गयी और 27 दिसंबर, 2022 और 8 जनवरी, 2023 के बीच, शहर 5.4 सेमी तक धंस गया.
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