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जम्मू-कश्मीर: डोडा में जोशीमठ जैसे हालात! 19 परिवारों को सुरक्षित जगह भेजा गया

डोडा जिले के एक गांव के घरों में दरारें पड़ने के बाद 19 परिवारों को सुरक्षित निकाल लिया गया है.

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भारत
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<div class="paragraphs"><p>जम्मू-कश्मीर: डोडा में घरों की दीवारों में पड़ रहीं दरारें</p></div>
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जम्मू-कश्मीर: डोडा में घरों की दीवारों में पड़ रहीं दरारें

(फोटोः क्विंट)

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उत्तराखंड के जोशीमठ की ही तरह जम्मू-कश्मीर के डोडा में भी लोगों के घरों में दरारें आनी शुरू हो गई हैं. डोडा जिले के एक गांव के घरों में दरारें आने के बाद 19 परिवारों को सुरक्षित निकाल लिया गया है. इसी के साथ अधिकारियों ने किश्तवाड़-बटोटे राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ डोडा शहर से 35 किलोमीटर दूर थाथरी के नई बस्ती गांव में एक मस्जिद और लड़कियों के लिए एक धार्मिक स्कूल को भी असुरक्षित घोषित कर दिया है.

अधिकारियों ने बताया कि गांव में कुछ ढांचों में कुछ दिन पहले दरारें आनी शुरू हो गई थीं. लेकिन, गुरुवार को भूस्खलन से स्थिति और खराब हो गई, जिससे क्षतिग्रस्त इमारतों की संख्या 21 तक पहुंच गई. 19 प्रभावित परिवारों को उनके घरों के असुरक्षित होने के बाद सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित कर दिया है. हम स्थिति पर नजर रख रहे हैं और उनकी रक्षा सुनिश्चित करने के लिए जरूरी कदम उठा रहे हैं.

वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने घटनास्थल का दौरा किया और प्रभावित परिवारों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है.

डोडा के एसडीएम अतहर अमीन ने कहा, उत्तराखंड के जोशीमठ-बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों के प्रवेश द्वार की स्थिति की तुलना करने से इनकार कर दिया, जो भूमि धंसने के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है. उन्होंने कहा कि प्रशासन स्थिति का जायजा लेने के लिए एक टीम गठित कर रहा है.

शुरुआती जांच कल रात पूरी की गयी थी, साथ ही राष्ट्रीय राजमार्ग के भूवैज्ञानिक भी रात और सुबह यहां पहुंचे हैं. वे अपनी जांच रिपोर्ट सौंप देंगे. उन्होने बताया कि प्रशासन ने भूविज्ञान खनन निदेशक से बात की है और वे भी इसके पीछे के वास्तविक कारणों का पता लगाने के लिए स्थिति की जांच के लिए टीम का गठन कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि क्षेत्र को बचाने के प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन बहुत हद तक नुकसान हो चुका है.सरकार एक समाधान खोजने की कोशिश कर रही है, ताकि नुकसान आसपास के अन्य इलाकों तक न पहुंचे.
अतहर अमीन जरगर, SDM, डोडा

इस बीच स्थानीय लोग लगातार सुरक्षा की मांग कर रहे हैं. एक डोडा निवासी ने कहा कि हम यहां रहने के लिए बहुत डरे हुए हैं. हम अपने घर के अंदर भी नहीं बैठ सकते, क्योंकि पूरे इलाके में दरारें पड़ गई हैं. हम बच्चों को रहने और सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक जगह की तलाश कर रहे हैं.

इस बीच वहां के एक अन्य स्थानीय नागरिक ने कहा कि...

उन्हें यहां किसी भी अप्रिय घटना को रोकने के लिए उचित उपाय करने का आश्वासन दिया गया है. एक अन्य स्थानीय ने कहा कि डीसी यहां आए हैं और हमें सुरक्षा का आश्वासन दिया है, लेकिन हम प्रशासन से उन छह घरों का पुनर्वास करने का अनुरोध करते हैं, जो बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गए हैं.

जाहिदा बेगम, जिनके परिवार को एक अस्थायी जगह पर स्थानांतरित कर दिया गया था, ने कहा कि वे 15 साल से गांव में रहती हैं और कंक्रीट के घरों में दरारें देखकर हैरान हैं. "गांव में 50 से अधिक परिवारों में दहशत है. गुरुवार के भूस्खलन के बाद अधिकांश संरचनाओं में दरारें आ गईं.

एक अन्य स्थानीय निवासी फारूक अहमद ने कहा कि पुलिसकर्मियों, पूर्व सैनिकों, रक्षा कर्मियों और मजदूरों के 19 परिवारों के 117 सदस्यों को स्थानांतरित किया गया था. उन्होंने कहा कि नई बस्ती करीब दो दशक पहले विकसित हुई थी और ऐसी कोई समस्या नहीं थी. अहमद ने कहा, "हम गैर सरकारी संगठनों और परोपकारी लोगों से आगे आने और प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने का अनुरोध करते हैं."

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