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उत्तराखंड के जोशीमठ की ही तरह जम्मू-कश्मीर के डोडा में भी लोगों के घरों में दरारें आनी शुरू हो गई हैं. डोडा जिले के एक गांव के घरों में दरारें आने के बाद 19 परिवारों को सुरक्षित निकाल लिया गया है. इसी के साथ अधिकारियों ने किश्तवाड़-बटोटे राष्ट्रीय राजमार्ग के साथ डोडा शहर से 35 किलोमीटर दूर थाथरी के नई बस्ती गांव में एक मस्जिद और लड़कियों के लिए एक धार्मिक स्कूल को भी असुरक्षित घोषित कर दिया है.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने घटनास्थल का दौरा किया और प्रभावित परिवारों को हरसंभव मदद का आश्वासन दिया है.
डोडा के एसडीएम अतहर अमीन ने कहा, उत्तराखंड के जोशीमठ-बद्रीनाथ और हेमकुंड साहिब जैसे प्रसिद्ध तीर्थ स्थलों के प्रवेश द्वार की स्थिति की तुलना करने से इनकार कर दिया, जो भूमि धंसने के कारण एक बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है. उन्होंने कहा कि प्रशासन स्थिति का जायजा लेने के लिए एक टीम गठित कर रहा है.
इस बीच स्थानीय लोग लगातार सुरक्षा की मांग कर रहे हैं. एक डोडा निवासी ने कहा कि हम यहां रहने के लिए बहुत डरे हुए हैं. हम अपने घर के अंदर भी नहीं बैठ सकते, क्योंकि पूरे इलाके में दरारें पड़ गई हैं. हम बच्चों को रहने और सुरक्षा प्रदान करने के लिए एक जगह की तलाश कर रहे हैं.
इस बीच वहां के एक अन्य स्थानीय नागरिक ने कहा कि...
जाहिदा बेगम, जिनके परिवार को एक अस्थायी जगह पर स्थानांतरित कर दिया गया था, ने कहा कि वे 15 साल से गांव में रहती हैं और कंक्रीट के घरों में दरारें देखकर हैरान हैं. "गांव में 50 से अधिक परिवारों में दहशत है. गुरुवार के भूस्खलन के बाद अधिकांश संरचनाओं में दरारें आ गईं.
एक अन्य स्थानीय निवासी फारूक अहमद ने कहा कि पुलिसकर्मियों, पूर्व सैनिकों, रक्षा कर्मियों और मजदूरों के 19 परिवारों के 117 सदस्यों को स्थानांतरित किया गया था. उन्होंने कहा कि नई बस्ती करीब दो दशक पहले विकसित हुई थी और ऐसी कोई समस्या नहीं थी. अहमद ने कहा, "हम गैर सरकारी संगठनों और परोपकारी लोगों से आगे आने और प्रभावित लोगों को सहायता प्रदान करने का अनुरोध करते हैं."
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