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पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता गौरी लंकेश की हत्या को एक साल हो चुका है. पिछले साल आज ही के दिन बेंगलुरु में गौरी लंकेश की उनके आवास के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.
गौरी लंकेश को किसी भी मुद्दे पर बेबाक राय रखने के लिए जाना जाता था. कट्टर हिंदुत्व और दक्षिणपंथी संगठनों की आलोचना के चलते ही उनकी हत्या हुई. गौरी लंकेश की पहली बरसी पर तमाम सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बेंगलुरु पहुंचकर उन्हें याद किया. इस मौके पर गौरी लंकेश की बंद हो चुकी पत्रिका को नए नाम 'न्याय पाठ' के साथ शुरू किया गया.
गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवाणी ने गौरी लंकेश को याद करते हुए उन्हें निर्भीक और गरीबों के हक में लिखने वाली पत्रकार बताया.
जिग्नेश ने गौरी लंकेश को याद करते हुए कहा, ''वे मुझे अपना बेटा मानती थीं. हत्या से ठीक 14 दिन पहले मैं उनसे उनके आवास पर जाकर मिला था. मुलाकात के दौरान उन्होंने बताया था कि दक्षिणपंथी लोग उनके लेखों की वजह से उनसे नाराज हैं.''
पहली बरसी के मौके पर गौरी लंकेश ट्रस्ट ने 'अभिव्यक्ति की आजादी सम्मेलन' का आयोजन किया. इस सम्मेलन में देशभर के कई सामाजिक कार्यकर्ता और लेखक शामिल हुए. स्वामी अग्निवेश, कन्हैया कुमार और उमर खालिद भी इस सम्मेलन में पहुंचे थे.
इस दौरान सोशल मीडिया पर ट्रोल होने वाले या ट्रोलर्स की धमकी पाने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं और लेखकों ने विरोध के तौर पर राजभवन तक शांति मार्च किया. 'राजभवन चलो' रैली की अगुवाई स्वामी अग्निवेश ने की.
'राजभवन चलो' रैली के दौरान स्वामी अग्निवेश ने सनातन संस्था और इस जैसे तमाम संगठनों को आतंकी संगठन घोषित किए जाने की मांग की. इस दौरान उन्होंने अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ गर्वनर को मांग पत्र भी सौंपा.
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