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केरल वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन (KWJU) ने सुप्रीम कोर्ट में दिए गए अपने रिजॉइंडर हलफनामे में आरोप लगाया है कि पत्रकार सिद्दीकी कप्पन को 5 से 6 अक्टूबर के बीच 'बर्बरता से पीटा गया और गंभीर मानसिक टॉर्चर किया गया है.'वकील विलिस मैथ्यूस ने क्विंट को बताया कि कप्पन को थप्पड़ मारा गया और पीटा गया. वकील का दावा है कि कप्पन को तीन बार लाठी से भी मारा गया है.
अपने रिजॉइंडर हलफनामे में KWJU ने कहा है कि 'कप्पन को जांघ पर तीन बार लाठी से मारा गया, उनका चश्मा उतारकर तीन बार थप्पड़ मारा गया, घसीटा गया, सुबह 6 से शाम 6 बजे तक जबरन जगाए रखा गया, उन्हें सोने नहीं दिया गया, जरूरी दवाइयां नहीं दी गईं और साथ ही 5 से 6 अक्टूबर के बीच गंभीर मानसिक टॉर्चर किया गया.'
हलफनामे में दावा किया गया कि कप्पन पर लगे आरोप 'झूठे और ओछे' हैं.
क्विंट ने स्पष्टीकरण के लिए मथुरा पुलिस से संपर्क किया.
एडिशनल एसपी मथुरा श्रीश चंद्रा ने क्विंट से कहा कि वकील मैथ्यूस के आरोप पूरी तरह गलत हैं.
आरोपों से इनकार करते हुए चंद्रा ने क्विंट से कहा, "पुलिस ने सिद्दीकी कप्पन को नहीं पीटा, वकील के दावे झूठे हैं. कप्पन को कोर्ट में पेश किया गया था और मेडिकल टेस्ट हुए थे. कप्पन बिलकुल ठीक था, वो न्यायिक हिरासत में हैं और ऐसा कुछ नहीं हुआ है. अगर उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से टॉर्चर किया गया होता तो कप्पन ने कोर्ट में ये सब बताया होता."
7 अक्टूबर को यूपी पुलिस ने कप्पन और बाकी तीन लोगों पर राजद्रोह और UAPA के सेक्शन 17 के तहत केस दर्ज किया. इस सेक्शन के तहत आतंकी गतिविधि के लिए फंड जुटाने के मामले में सजा का प्रावधान है.
हालांकि, रिजॉइंडर हलफनामे में दावा किया गया है कि पुलिस को आरोपी के पास से कोई दोषी ठहराने लायक पैम्फलेट नहीं मिला है, जैसे कि पुलिस ने पहले आरोप लगाया है.
KWJU ने हलफनामे में कप्पन के पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से लिंक होने के यूपी सरकार और DGP की तरफ से लगाए गए सभी आरोपों से इनकार किया.
कप्पन के वकील मैथ्यूस ने कहा कि उन्होंने कप्पन से पहली बार फोन पर 2 नवंबर को बात की थी. ये उनकी गिरफ्तारी के लगभग एक महीने बाद की बात है. तब कप्पन ने पुलिस के किसी भी टॉर्चर से इनकार किया था.
हलफनामे में कहा गया कि कप्पन ने खास तौर से निवेदन किया है कि उन्हें नार्को एनालिसिस या ब्रेन मैपिंग टेस्ट या लाई डिटेक्टर टेस्ट, या फिर किसी भी साइंटिफिक टेस्ट से गुजरने की इजाजत दी जाए, ताकि आरोपी अपनी बेगुनाही साबित कर सके.
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