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"महाभियोग हर सवाल या समस्या का जवाब नहीं हो सकता" ये कहना है चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के फैसलों के खिलाफ नाराजगी जताने वाले 4 जजों में एक जस्टिस चेलमेश्वर का.
हार्वर्ड क्लब ऑफ इंडिया के कार्यक्रम में पत्रकार करण थापर के सवालों का जवाब देते हुए जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा कि ज्यूडिशियल सिस्टम में बदलाव की जरूरत है, सिस्टम को ठीक करने की जरूरत है और महाभियोग हर सवाल या समस्या का जवाब नहीं हो सकता.
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा के खिलाफ कांग्रेस पार्टी महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में है. इसी को देखते हुए 'लोकतंत्र में न्यायपालिका की भूमिका' विषय पर चल रहे कार्यक्रम में करण थापर ने जस्टिस चेलमेश्वर से महाभियोग पर उनकी राय जानने की कोशिश की. जस्टिस चेलमेश्वर ने कहा,
कार्यक्रम में चेलमेश्वर ने 12 जनवरी को किए विवाद पर भी सफाई दी. उन्होंने जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस एमबी लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस करने पर कहा,
जजों के रोस्टर विवाद पर कहा कि बेंचों को केस बांटने के लिए ट्रांसपेरेंसी रखनी होगी. उन्होंने कहा, ‘‘सीजेआई ‘मास्टर ऑफ रोस्टर’ हैं. बेशक, सीजेआई के पास यह शक्ति है. सीजेआई के पास बेंच सेट करने की शक्ति है लेकिन संवैधानिक प्रणााली के तहत हर अधिकार के साथ कुछ खास जिम्मेदारियां हैं.’’
अपने जवाब में जस्टिस चेलमेश्वर ने साफ किया कि वो रिटायरमेंट के बाद किसी भी तरह के सरकारी पद के खिलाफ हैं. उन्होंने कहा, “मैं यह रिकॉर्ड में कह रहा हूं कि 22 जून को रिटायरमेंट के बाद मैं सरकार से कोई पद नहीं मांगूगा.”
बता दें कि देश के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ था जब सुप्रीम कोर्ट के 4 जजों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी. जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर, जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ ने सुप्रीम कोर्ट का प्रशासनिक कार्य ठीक से नहीं होने का आरोप लगाया था. जजों के मुताबिक उनकी बातों पर ध्यान नहीं दिया गया इसलिए मीडिया के सामने आना पड़ा.”
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